Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

सपा-बसपा गठबंधन में टूट! बसपा सुप्रीमो मायावती के फैसले पर सपा ने दिया यह जवाब

बसपा सुप्रीमो मायावती के अकेले विधानसभा उपचुनाव लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी ने कहा कि अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. सपा के कार्यालय में सन्नाटा छाया हुआ है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ दौरे पर हैं.

बसपा के इस रुख पर पूछे जाने पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “नहीं अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं है. अखिलेश यादव ही तय करेंगे कि क्या हुआ है और इसमें कितनी सच्चाई है. चूंकि कोई आधिकारिक रुख तो है नहीं, यह तो बाहर का सुना सुनाया मामला है. क्या बात हुई, क्या मामला है उसे समझना पड़ेगा. अखिलेश यादव आजमगढ़ में हैं, वह आ जाएं फिर कुछ कहा जाएगा.” उन्होंने कहा कि ‘किसी के पास उनका (बसपा का) आधिकारिक बयान नहीं है इसलिए अभी इंतजार करना होगा.’

सपा-बसपा गठबंधन पर सवाल
बसपा अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को कोई लाभ नहीं होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुछ सीटों पर संभावित उपचुनाव अपने बलबूते चुनाव लड़ने की बात कहकर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि बसपा अब गठबंधनों पर निर्भरता खत्म कर आगामी उपचुनाव खुद लड़ेगी.

लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिये सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक में मायावती ने बसपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने की जरूरत पर बल देते हुये पार्टी पदाधिकारियों को उपचुनाव की तैयारियां तेज करने को कहा है. बसपा, हालांकि अब तक उपचुनाव नहीं लड़ती थी. इसके मद्देनजर मायावती का यह निर्देश अहम माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 और सपा को महज पांच सीट मिल सकी. सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.

सूत्रों के अनुसार मायावती ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन की सहयोगी, सपा का यादव वोटबैंक बसपा के पक्ष में स्थानांतरित नहीं होने की दलील देते हुये बैठक में मौजूद पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि अब ‘गठबंधनों’ पर निर्भर रहने के बजाय पार्टी का संगठन मजबूत कर बसपा अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में बसपा को जिन सीटों पर कामयाबी मिली उसमें सिर्फ पार्टी के परंपरागत वोटबैंक का ही योगदान रहा.

पारिवारिक कलह की वजह से हारे अखिलेश
सूत्रों के अनुसार उन्होंने गठबंधन का अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेख यादव की पारिवारिक कलह को भी प्रमुख वजह मानते हुये कहा कि इस कारण से अखिलेश के पारिवारिक सदस्य भी चुनाव नहीं जीत सके. बसपा अध्यक्ष ने यादवों के वोट सपा के पक्ष में एकजुट नहीं हो पाने को इसकी वजह बताया. गौरतलब है कि कन्नौज में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और दोनों चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव बदांयू से तथा अक्षय यादव फिरोजाबाद से भाजपा उम्मीदवारों से चुनाव हार गए.

समझा जाता है कि मायावती ने सपा से अलग हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की वजह से भी गठबंधन को चुनाव में नुकसान होने की बात कही. उन्होंने कहा कि शिवपाल के अलग चुनाव लड़ने के कारण सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार के सदस्य भी चुनाव हार गये. उन्होंने माना कि चुनाव में पारिवारिक कलह का नुकसान गठबंधन को उठाना पड़ा.