नई दिल्ली : सऊदी अरब में महिलाओं को तरजीह देने के लिए गर्ल्स काउंसिल बनाई गई है। लेकिन इसकी पहली ही मीटिंग में महिलाओं को शामिल नहीं किया गया। सऊदी अरब में पहले से ही महिलाओं के लिए जिंदगी आसान नहीं है। यहां के बेतुके कानून और पाबंदियां उनके लिए हमेशा मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं। महिलाओं को हिजाब, अबाया और बुर्के में तो रहना ही पड़ता है। इसके बावजूद उनके अकेले घर से निकलने, नौकरी करने, प्रॉपर्टी खरीदने और यहां तक की पुरुषों से बात करने पर भी पाबंदियां हैं।
– सऊदी में महिलाएं अकेले प्रॉपर्टी भी नहीं खरीद सकतीं।
– ओलिंपिक गेम्स में पहली बार 2012 में सऊदी अरब की महिला खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानते हुए देश में बहुत विरोध हुआ था।
– फीमेल एथलीट्स ओलिंपिक में पूरे शरीर को ढके कपड़ों और हिजाब में दौड़ती नजर आई थीं।
– सऊदी में रेप के लिए किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती, जब तक उसके चार चश्मदीद न हों।
– महिला के पराए मर्द के साथ रिश्तों पर मर्द को कुछ नहीं कहा जाता है। महिला को इसके लिए सजा का सामना करना पड़ सकता है।
– सऊदी में महिलाएं बिना किसी पुरुष गार्जियन या उसकी परमिशन के सफर नहीं कर सकती हैं।
– यहां कानूनी रूप से बालिग होने के बावजूद महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में हर महिला का पुरुष गार्जियन होना चाहिए।
– सऊदी में सरकार महिलाओं की शिक्षा के लिए काफी पैसे खर्च करती है, लेकिन नौकरी में उनकी संख्या बहुत कम है।
– यहां पर महिलाओं का लिटरेसी रेट 81 फीसदी है। 1970 में सिर्फ 2 फीसदी था।
– सऊदी अरब में महिलाओं की ड्राइविंग बैन करने के लिए कोई ऑफिशियल लॉ नहीं है।
– महिलाओं को अब बस इतना अधिकार मिल गया कि वो अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और किसी फैमिली मेम्बर को अस्पताल पहुंचाने के लिए कार ड्राइव कर सकती हैं।