प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चुनाव की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार व बोर्ड से जवाब मांगा है और कहा है कि यदि 24 मार्च 21 की अधिसूचना के तहत चुनाव करा लिया जाता है तो वह याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने अल्लामा जमीर नकवी व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने जवाबी हलफनामे के जरिए पूछा है कि मतदाता सूची के लिए मुतवल्ली किस आधार पर चयनित किए गए हैं। इससे पहले क्या इनकी वार्षिक आय की आडिट करायी गयी है या नहीं। क्योंकि एक लाख की सालाना आय वाले मुतवल्लियों को ही सदस्य चुनने का अधिकार है।
याचिका में कहा गया है कि वक्फ एक्ट के अनुसार वक्फ के वही मुतवल्ली बोर्ड के सदस्य चुनते हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो। जिसके लिए वार्षिक आडिट किया जाना जरूरी है। बिना यह प्रक्रिया पूरी किए चुनाव कराना अवैध है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जवाब मांगा है।
याची का कहना है कि पिछले दस सालों से वक्फ सम्पत्तियों का आडिट नहीं कराया गया है और पुरानी वोटर लिस्ट से मुतवल्ली कोटे का चुनाव कराया जा रहा है। विवादों में घिरे पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी और सैयद फैजी मुतवल्ली कोटे से फिर सदस्य चुने गए हैं। ग्यारह चुने हुए और मनोनीत सदस्यों द्वारा चेयरमैन का चुनाव किया जाता है। इनमें से आठ सदस्यों का चुनाव होता है, जबकि तीन नामित किये जाते हैं। याचिका की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।