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वर्चस्व की लड़ाई में नैतिकता भूल गए भाजपाई,आयुक्त से की अभद्रता, काटा हंगामा

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर|

|सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता में एक अहम पद को लेकर छिड़ी है जंग|

भाजपा में वर्चस्व कायम करने को लेकर दिग्गजों में पंगे बढ़ते ही जा रहे हैं। शनिवार को महोली में सांसद और विधायक एवं उनके समर्थकों के बीच हुई मारपीट को चंद घंटे भी नहीं बीते थे कि विकास भवन में कुछ भाजपाइयों ने एक और बखेड़ा खड़ा कर दिया। यहां सहकारिता विभाग के एक अहम पद पर “अपने” को बैठाने की जद्दोजहद में भाजपाई नैतिकता ही भूल बैठे। सहायक आयुक्त एवं  सहायक निबंधक सहकारिता कार्यालय में पहुंच कर न केवल हंगामा काटा बल्कि आयुक्त के साथ अभद्रता भी की। हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष ने हंगामा करने वालों को भाजपाई होने की बजाय अराजकतत्व के रूप में परिभाषित करते हुये कानूनी कार्रवाई करने की बात कही। 

  विकास भवन स्थित सहायक आयुक्त एवं  सहायक निबंधक सहकारिता कार्यालय में कुछ भाजपाई पहुंच गये। बाहर कुछ देर सहायक आयुक्त से बातचीत के बाद सभी हंगामा काटने लगे। आयुक्त का आरोप है कि अभद्रता होने की आशंका के चलते वह अपने कक्ष में घुस गये और दरवाजा बंद कर लिया। लेकिन हंगामा काट रहे भाजपाइयों नें पैर की ठोकरों से दरवाजा खोल दिया। अंदर पहुंचने के बाद उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग करते हुये हाथापाई भी की। विकास भवन में मौजूद कर्मचारी आ गये और किसी तरह आयुक्त को बचाया। इसके बाद भाजपाई घंटों तक हंगांमा काटता रहे। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने सभी को शांत कराया। 
पता चलने पर भाजपा जिलाध्यक्ष  शरद बाजपेई विकास भवन पहुंचें। उन्होंने हंगामा काटने वालों  को केवल अराजकतत्व बताया। कहा कि इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए । भाजपा न्यायिक कार्रवाई में अपना हर सहयोग देगी। 

विधान सभा फतह के बाद से छिड़ी है वर्चस्व की जंग

जब से केंद्र और प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ आई है तब से गुटबाजी नजर आ रही है। भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर पार्टी में तीन गुट बन गये थे। यही तीन गुट अलग-अलग सीट पर कब्जे को लेकर विवाद में आते रहे हैं। टैक्सी स्टैंड से लेकर विभाग का चेयरमैन बनाने तक पर हर जगह विवाद हुआ। विस जीत के बाद सबसे पहले टैक्सी स्टैंड पर कब्जों को लेकर विवाद हुआ।  गोलीबारी तक हुई। इसमें एक विधायक के शामिल होने की बात भी सामने आई थी। 
बेहजम में एक पत्रकार की मौत में भी एक विधायक द्वारा हत्या के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में परिवार ने इससे किनारा कर लिया था। 
जिले की एक सीएचसी में भी एक सांसद के अभद्ता करने और हंगामा खड़ा करने से भी पार्टी की छवि को दाग लगा था। 
नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव बाद भी बसपा प्रत्याशी और सदर विधायक का टकराव हो गया था। हालांकि बसपा प्रत्याशी ने खुद को बेजा खींचने का आरोप लगाते हुये विवाद में शामिल होने से इंकार किया था। 
एक बखेड़ा तब खड़ा हुआ जब युवा भाजपाइयों ने एक सपा नेता का पुतला सपा कार्यालय के सामने ही फूंक दिया। जिससे स्थिति उग्र हो गई थी। 

किसी अपने को काबिज कराना चाहता है हर गुट

सहायक आयुक्त एवं  सहायक निबंधक सहकारिता कार्यालय में अध्यक्ष पद को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद में भी अंदरूनी फूट सामने आई । भाजपा में अभी भी कई बाहुबलियों के गुट हैं। हर गुट हर सीट पर अपने ही खास को काबिज कराना चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो सहकारिता में अध्यक्ष  पद पर एक पूर्व मंत्री के लोग ही काबिज चले आ रहे थे। इस बार परपाटी को तोड़ने और अपना वर्चस्व को कायम करने को लेकर ही विवाद का कारण बन गया।