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लाल किला हिंसा : लखबीर सिंह की गिरफ्तारी पर 28 जुलाई तक लगी रोक

नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा के मामले में आरोपित लखबीर सिंह उर्फ लक्खा सिधाना की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने 28 जुलाई तक गिरफ्तारी पर रोक लग दिया है। कोर्ट ने लक्खा को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया। पिछले 26 जून को कोर्ट ने लक्खा की गिरफ्तारी पर आज तक की रोक लगाई थी।

सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी पंकज अरोड़ा ने कहा कि लखबीर सिंह मुख्य आरोपितों में से एक है। उसने कोर्ट को एक वीडियो शेयर किया। जांच अधिकारी ने कहा कि लखबीर सिंह ने लोगों को लालकिले पर लोगों को बुलाया। कोर्ट ने कहा कि लालकिला पाकिस्तान में नहीं है। हमारे देश में है। उसमें जाने से मना कौन कर सकता है। जांच अधिकारी ने कहा कि लखबीर सिंह ने लोगों को 26 जनवरी को लालकिले पर आने के लिए बुलाया। तब कोर्ट ने कहा कि हम जेल भरो नहीं चला रहे हैं। हम सबको जेल नहीं भेज सकते हैं।

कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा कि आप ये बताइये कि हिरासत क्यों चाहिए। तब अरोड़ा ने कहा कि 4 जनवरी को ये बुला रहे हैं कि लालकिले आइए। 26 जनवरी को ये ट्रैक्टर रैली के जरिये लालकिले पहुंचते हैं। एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने कहा कि मैं उसमें हस्तक्षेप नहीं करूंगी जिसमें मौलिक अधिकार की बात हो। कोर्ट ने पूछा कि आपने छह महीने तक क्या किया। आपने जांच क्यों नहीं की। इस मामले के मुख्य आरोपित जमानत पर हैं।

लखबीर सिंह की ओर से पेश वकील जसप्रीत सिंह राय से कोर्ट ने पूछा कि लखबीर सिंह क्या काम करता है। तब राय ने कहा कि वो भटिंडा में किसान है। लखबीर सिंह का नाम कहीं नहीं है। लखबीर सिंह कभी भी लालकिले के परिसर में नहीं घुसा। दिल्ली पुलिस की ओर से पंकज भाटिया ने कहा कि लक्खा के खिलाफ 20 केस दर्ज किए गए हैं। इन केसों में मर्डर, लूट और दूसरे आरोपों के एफआईआर दर्ज किए गए हैं। भाटिया ने कहा कि लखबीर सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि ट्रैक्टर रैली के रूट को बदलते हुए लालकिले पर जाना है। उन्होंने कहा कि लखबीर सिंह पहले अपराधी था। वो लालकिले के बाहर तक रहा है। लक्खा ने समयपुर बादली में बैरिकेड तोड़ा है।

पिछले 26 जून को सुनवाई के दौरान लक्खा की ओर से वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने कहा था कि लक्खा का लालकिले में हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने भी स्वीकार किया है कि लक्खा 26 जनवरी को लालकिले में प्रवेश नहीं किया था।

उल्लेखनीय है कि पिछले 19 जून को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। चार्जशीट में कहा गया है कि 26 जनवरी को लालकिले पर कब्जे की साजिश रची गई थी और लालकिले को विरोध प्रदर्शन का केंद्र बनाने की योजना थी। चार्जशीट में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा फैलाने को सोची-समझी साजिश थी। इस हिंसा के जरिये केंद्र सरकार को बदनाम करने की योजना बनाई गई थी।

दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, आर्म्स एक्ट, प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी, एंशिएंट मानुमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साईट्स एंड रिमेंस एक्ट, एपिडेमिक डिसीज एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने उन आरोपों पर संज्ञान नहीं लिया जिनमें अभी अनुमति नहीं ली गई थी। जिन मामलों में अनुमति नहीं ली गई थी उसमें आर्म्स एक्ट, एपिडेमिक एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के कुछ आरोप शामिल हैं। पिछले 17 जून को दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की थी।

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