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रोते बिलखते मुस्लिमों पर नहीं पसीज रहे बौद्ध, इस्लाम के खात्मे तक जंग को तैयार

muslim_050716-013456नाएप्यीडॉ : विश्व की कुल जनसंख्या में प्रत्येक चार में से एक मुसलमान है। करीब 75 देशों ने स्वयं को इस्लामी देश घोषित कर रखा है। जब भी मुसलमानों की बात होती है,  पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सऊदी अरब की बात होती है क्योंकि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं।  लेकिन म्यांमार में मुसलमान बेहद दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं। दुनिया में रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म हो रहा है। इन्हें लेकर कोई संपन्न मुस्लिम देश आवाज म्यांमार की बहुसंख्यक बौद्ध आबादी के बीच करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। यह मुसलमान मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार इन्हें सिटीजनशिप तक नहीं दे रही है। रखाइन स्टेट में 2012 में हुई सांप्रदायिकता हिंसा में तमाम लोगों की जान चली गई थी। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। म्यांमार में मुसलमान के हालात तब से बदतर ही हुए हैं। बौद्ध लोगों का मुसलमानों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है।

रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर रहाइन के बौद्ध लोग नहीं चाहते हैं कि राज्य में मुस्लिमों को किसी भी तरह का कोई अधिकार मिले। बौद्ध लोगों को रोहिंग्या शब्द पर भी दिक्कत है। उनका कहना है इस टर्म से मुस्लिमों को बौद्ध देश में मान्यता मिलेगी। मानवाधिकारों के लिए जानी जाने वाली आंग सान सू की इस मसले पर चुप नजर आ रही हैं। वहां की सरकार ने भी रोहिंग्या शब्द के इस्तेमाल को रोकने का निर्देश दिया है। सरकार का कहना है कि इनके लिए रहाइन के मुस्लिम टर्म का इस्तेमाल किया जाए। प्रोटेस्ट के चलते मुस्लिमों को बौद्ध बस्तियों से अलग कैंपों में शिफ्ट कर दिया गया। एक हफ्ते के अंदर वहां दो मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया गया है।

म्यांमार में मुसलमान बिना सिटीजनशिप के

जनरल नेविन की लीडरशिप में 1962 में तख्तापलट हुआ। रहाइन में रोहिंग्या मुस्लिमों ने एक अलग रोहिंग्या देश बनाने की मांग रखी। सैनिक शासन ने अलग देश की बात तो दूर सिटीजनशिप देने तक से इनकार कर दिया। संयुक्त राष्ट्र की कई रिपोर्ट में जिक्र हुआ कि रोहिंग्या दुनिया के ऐसे मुस्लिम हैं, जिनका सबसे ज्यादा दमन हुआ। बर्मा के सैनिक शासन ने 1982 में सभी राइट्स छीन लिए. तब से अबतक कई बार इनकी बस्तियों को जलाया गया. जमीने हड़पी गईं. मस्जिदों को ढहाया गया. देश से खदेड़ा गया. नए स्कूल, मकान, दुकानें और मस्जिदें बनाने की इजाजत नहीं है.

कौन हैं रोहिंग्या मुस्लिम ?

म्यांमार में मुसलमान (रोहिंग्या) रहाइन स्टेट में रहने वाले अल्पसंख्यक हैं। जो सुन्नी इस्लाम से हैं। ये रोहिंग्या भाषा बोलते हैं। प्रतिबंध के चलते ये पढ़े-लिखे नहीं हैं। सिर्फ बुनियादी इस्लामी शिक्षा ही हासिल की। ये रहाइन में 1400 के आसपास आकर बसे थे। 1430 में ये रहाइन पर राज करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला के दरबार में नौकर थे। राजा ने मुस्लिम एडवाइजरों और दरबारियों को अपनी राजधानी में  जगह दी। रहाइन स्टेट म्यांमार का वेस्ट बॉर्डर है, जो बांग्लादेश के बॉर्डर के पास है। यहां के शासकों ने भी मुगल शासकों की तरह अपनी सेना में मुस्लिम पदवियों को रखा और इस तरह मुस्लिम कम्युनिटी वहां पनपती गई। म्यांमार में 25 वर्ष बाद पिछले साल चुनाव हुआ था। इस चुनाव में आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को जीत मिली थी। तब उम्मीद जगी थी कि शायद मुस्लिमों को राहत मिले। हालांकि संवैधानिक नियमों के कारण वह राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं। नोबेल विजेता सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं। हालांकि कहा जाता है कि वास्तविक कमान सू ची के हाथों में ही है।

 

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