राजरानी कभी खुद भी खुले में ही शौच जाती थीं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान का उन पर गहरा असर हुआ। कहती हैं उन्हें खुले में शौच जाने में शर्म आती थी। बहू-बेटी भी मजबूरन बाहर ही शौच के लिए जाती थीं। जगह-जगह गंदगी से बच्चे भी बीमार होते थे।
वह इन सब से निजात पाना चाहती थीं और पीएम मोदी के अभियान ने उन्हें अच्छा मौका दे दिया। कहती हैं उन्होंने पहले खुद को बदला। घर में शौचालय बनवाया। इसके बाद निकल पड़ी दूसरों को बदलने। आज आलम यह है कि गांव के सभी घरों में शौचालय बन चुके हैं।
खुद भी लगाया पैसा
राजरानी के घर में पति, चार बेटे, चार बहू और तीन प्रपौत्र हैं। बताती हैं कि कुछ माह पहले तक उनका पूरा परिवार खुले में शौच जाता था। अच्छा नहीं लगता था, लेकिन मजबूरी थी। सुबह गांव की सड़कों से गुजरना मुश्किल हो जाता था। हर तरफ गंदगी और मल पड़ा रहता था। पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत का अभियान जोरशोर से शुरू किया तो उसकी हलचल गांव में भी देखने को मिला। बस फिर क्या था राजरानी ग्राम प्रधान के घर पहुंच गईं और शौचालय निर्माण के लिए मिलने वाली मदद मांगी। राजरानी को 12000 रूपये की मदद मिली और उन्होंने 20 हजार अपने पास से लगाकर बेहतरीन शौचालय का निर्माण कराया।
राजरानी के इस मुहिम में इंटर की छात्रा दुर्गेश, पायल, कांति सहित गांव कि कई महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। सभी महिलाएं नियमित भोर में लाइट और डंडे लेकर निकल पड़ती थीं। जो भी खुले में शौच जाता उसे इससे होने वाले नुकसान बतातीं। दोपहर में घर-घर जाकर महिलाओं को समझाती थी। कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन बाद में वह भी इस मुहिम में शामिल हो गए। राजरानी बताती हैं कि पूरे गांव को स्वच्छ बनाने में सबसे ज्यादा घर की महिलाओं ने कोशिश की थी।
ऐसे बदली गांव की तस्वीर
– राजरानी के अभियान के बाद 90 दिनों में गांव के 357 घरों में बने शौचालय।
– सभी घरों कि महिलाओं ने बढ़ाया कदम, ग्राम प्रधान से मांगी मदद।
– 59 लोगों ने बिना सरकारी मदद के शौचालय बनवाए।
– ग्राम प्रधान ने खुलवाया कई महिलाओं का बैंक खाता।
– सीधे खाते में भिजवाई गई सरकारी मदद।