बेताल पचीसी एक प्राचीन संस्कृत पुस्तक है, जिसे संस्कृत संस्करण में बेतालपञ्चविंशतिका कहते हैं। इस प्राचीन ग्रंथ में 25 कथाओं का उल्लेख है। बेताल पचीसी के रचियता बेतालभट्ट थे। ऐसा माना जाता है। जो अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे।
क्यों है यह पुस्तक प्रसिद्ध बेताल पचीसी, 25 कथाओं का संग्रह है। इसमें एक बेताल (भूत) है। जो राजा विक्रमादित्य की पीठ पर बैठ जाता है। बेताल हर दिन कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। कहते हैं इस पुस्तक की रचना 495 ई.पू. हुई थी।
कश्मीर के कवि सोमदेव ने बैताल पचीसी संस्कृत में लिखा और नाम दिया कथासरित्सागर। समय के साथ इन कथाओं की प्रसिद्धि अनेक देशों में पहुंची और इन कथाओं का बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुआ।
बेताल के द्वारा सुनाई गई यो रोचक कहानियां सिर्फ दिल बहलाने के लिए नहीं हैं, इनमें अनेक गूढ़ अर्थ छिपे हैं। क्या सही है और क्या गलत, इसको यदि हम ठीक से समझ लें तो सभी प्रशासक राजा विक्रम की तरह न्याय प्रिय बन सकेंगे और छल व द्वेष छोडकर, कर्म और धर्म की राह पर चल सकेंगे।