देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
शुक्रवार को स्कूल जाते समय दो बच्चों के अपहरण की कोशिश की बात केवल कहानी साबित हुई। जिसे किसी और ने नहीं बल्कि खुद बच्चों ने ही रचा था। पुलिस जांच के बाद यह खुलासा हुआ। बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने अपना बैग झाड़ी में छिपा दिया और खेलने चले गए। लेकिन जब खेलकर वापस आए और बैग गायब मिला तो उनहोंने घर वालों की डांट से बचने के लिए मनगढ़त कहानी रच दी। इस बात की आशंका पुलिस पहले से ही व्यक्त कर रही थी, क्योंकि कथित अपहरण की कोशिश की घटना में कई पेंच नजर आ रहे थे। घटना की सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली वहीं परिवारीजन भी अब आशंका से मुक्त हैं। दरअसल मुहल्ला टेहरा शहरी निवासी मुन्नालाल ने पुलिस को दी तहरीर में कहा था कि उसके दो पाते आलोक और सचिन शुक्रवार की सुबह जब स्कूल जा रहे थे तो रास्ते में कोतवाली के निकट रेलवे क्रासिंग के पास दो नकाबपोश बदमाशों ने उनके अपहरण की कोशिश की।
बच्चों के अनुसार अपहरणकर्ताओं ने उनके बैग छीन लिए। जिसके बाद बच्चे घर आ गए। इस पूरी कहानी में शंका शुरू से ही बनी हुई थी। एसओ वीके सिंह ने बताया कि तहरीर मिलने के बाद छानबीन व पड़ताल प्रारंभ की गई। बच्चों से भी उनके घर वालों की मौजूदगी में वार्ता हुई, जिसके बाद सच्चाई सामने आ गई। दरअसल दोनों बच्चे अपनी बुआ के बच्चों के साथ रोज स्कूल जाते थे। शुक्रवार को बुआ के बच्चे स्कूल नहीं गए और इसी वजह से वे दोनों भी स्कूल नहीं जाना चाहते थे। लेकिन परिवारीजनों के दबाव और डांट के बाद दोनों को स्कूल के लिए निकलना पड़ा। रास्ते में उन लोगों ने स्कूल जाने के बजाए अपना बैग रेलवे क्रासिंग के पास झाड़ी में रख दिया और खेलकूद में मस्त हो गए। कुछ देर बाद जब वे वापस बैग लेने पहुंचे तो बस्ते गायब थे। ऐसे में बच्चे डर गए कि अब एक तो बैग गायब होने पर पिटाई होगी दूसरा स्कूल न जाने पर भी डांटा जाएगा।
इसी वजह से दोनों ने अपहरण की कोशिश की कहानी गढ़ दी और घर वालों को वही कहानी सुनाई। जिस पर परिवारीजनों ने भी यकीन कर लिया और तहरीर भी दे दी। हालांकि गरीब परिवार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाह रहा था। एसओ ने कहा कि बच्चों का बैग अभी मिला नहीं है,उसे ढुंढवाया जा रहा है। संभवत: कूड़ा कबाड़ बीनने वालों की नजर उस पर पड़ गई होगी और वे उठा ले गए होंगे।