देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
बीएड छात्रा की मिली लाश के मामले में पुलिस ने चौकाने वाला खुलासा किया। छात्रा की हत्या का आरोप लगाने वाला भाई ही उसकी मौत का असल दोषी निकला। बहन अपने भाई के साले के साथ शादी करना चाहती थी लेकिन परिवार को यह मंजूर नहीं था। न मानने पर भाई ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी थी जिसके बाद बहन ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बाद में बर्गलाने की नीयत से भाई अंधेरा होने के बाद बहन के शव को बोरे में भरकर एक ग्रामीण के खेत में डाल आया। पुलिस ने आरोपी को जेल भेज भेज दिया है।
29 मई 2017 को कुलदीप पुत्र रामदास रैदास निवासी सरैंया विलियम कोतवाली मोहम्मदी ने सूचना दी कि उसकी बहन किरन (23) मेरठ से बीएड कर रही थी। 28 मई की शाम करीब 5:30 बजे वह गांव के बाहर शौंच के लिए गई थी लेकिन वापस नहीं आई। तलाश के बावजूद उसका पता नहीं चला। 29 मई की सुबह लगभग सात बजे गांव के दक्षिण राम लोटन के गन्ने के खेत में बहन की लाश पड़ी होने व गले में निशान होने की सूचना दी। सूचना पर मृतका किरन का पंचायतनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। जब डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया तो पता चला कि मौत फांसी से होना पाया गया। फांसी से मौत होने की बात सामने आने पर पुलिस इस कश्मकश में पड़ गई कि घटना स्थल पर निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार का कोई पेड़ नहीं था। इससे पुलिस को संदेह हुआ।
एसपी, एएसपी व सीआे द्वारा जांच एसएचआे को सौंपी गई। एसएचआे ने जब जांच शुरू की तो खेत में काम करने वाले लोगों ने ऐसी कोई भी घटना न देखना बताया। विश्वस्त लोगों ने घर के लोगों से ही पूछताछ करने को कहा। इस पर सूचनाकर्ता कुलदीप को चौकी अमीरनगर बुलाया गया। जब कड़ाई से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसकी बहन किरन मेरठ में पढती थी। वह परीक्षा देने के लिए पहले गाजियाबाद में रहने वाले भाई अवधेश के यहां गई। बाद में वह धर्मशाले में रुकने की बात कहकर मेरठ आई। यहां उसने धर्मशाले में कमरा ले लिया। इसके ठीक पास का कमरा अवधेश के साले नरेंद्र निवासी बसंतापुर जिला शाहजहांपुर ने ले रखा था। बताया जाता है कि किरन अक्सर नरेंद्र के साथ ही घूमती थी। पेपर के बाद वह 25 मई को उसे घर लेकर चला आया। पता चलने पर उसने किरन को अवधेश से मिलने को मना किया। किरन ने कहा कि वह नरेंद्र से ही शादी करेगी। उसे सभी ने काफी समझाया लेकिन वह जिद पर अड़ी रही। नाराज होकर उसने अपने बहन की पिटाई कर दी। 28 मई को वह और उसके माता-पिता खेत से भूसा ढोने चले गए। मारपीट से क्षुब्ध हुई किरन ने गैर मौजूद्गी में नए मकान में फांसी लगा ली। शाम को जब वह लोग घर आए तो बहन का शव लटकता पाया। लोकलाज के डर से उन्होंने अंधेरा होने पर शव को फंदे से उतरवाया। फिर उसे बोरे में भरकर राम लोटन के गन्ने के खेत में डाल आए। पास में ही चप्पल, डिब्बा व दुपट््टा डाल दिया। इसके बाद वह घर वापस चला आया। लाश मिलने के बाद उसने साजिशन पूरी कहानी बनाई। कुलदीप के जुर्म कुबूलने के बाद पुलिस ने उस पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने व सुबूत मिटाने के अपराध की धारा लगाते हुए जेल भेज दिया।