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पीड़ित एसएसबी जवान व उसके परिवार पर दर्ज हुई धारा 307 की क्रास रिपार्ट

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
पुलिस द्वारा रस्सी को सांप बनाने की कहावत हो आपने सुनी ही होगी, लेकिन जमीन कब्जे को लेकर हुए विवाद में कोतवाली पुलिस ने इस कहावत को यर्थात कर दिया। पुलिस ने न केवल पीड़ित पर क्रास रिपोर्ट दर्ज की, बल्कि एसएसबी जवान, उसके भाई व उसके बूढ़े मां-बाप पर 307 जैसी संगीन धारा में मुकदमा दर्ज कर दिया। जबकि एसएसबी जवान के बूढ़े पिता द्वारा घटना की पहली तहरीर कोतवाली पुलिस में दी गई थी।
 जानकारी के अनुसार सदर कोतवाली क्षेत्र की चैकी महेवागंज के अन्तर्गत ग्राम सिंगारपुर मजरा महेवागंज निवासी ज्ञान प्रकाश सक्सेना अपने परिवार के साथ रह रहे है। उनके पड़ोस में रहने वाले एक परिवार से उनके परिवार का विवाद सिर्फ इसलिए शुरू हुआ, क्योंकि उनके परिवार ने सड़क पर अवैध कब्जे को लेकर पुलिस में शिकायत की थी। जिस पक्ष की शिकायत हुई वह पक्ष दबंग छवि से जाना जाता है। ज्ञान प्रकाश सक्सेना ने बताया कि उनके बेटे विश्व दीपक सक्सेना द्वारा अवैध कब्जे को लेकर महेवागंज चैकी पुलिस दबंगों की नामजद शिकायत की गई थी, जिससे दबंग नाराज हो गए। उन्होंने बताया कि बीती नौ मार्च को उनके परिवार विश्व दीपक द्वारा चैकी यह शिकायत की गई थी, जिससे नाराज विपक्षी मोहन शुक्ला, गयाप्रसाद शुक्ला, गोपाल शुक्ला व मोहन शुक्ला का छोटा भाई सेठ द्वारा शिकायत पर नाराजगी जताते हुए अन्य साथी भूपेन्द्र तिवारी, दिनेश तिवारी, विकास तिवारी, किशन तिवारी, सत्प्रकाश शुक्ला, आशुतोष शुक्ला, पंकज मिश्रा, संदीप मिश्रा व अन्य के साथ ज्ञान प्रकाश सक्सेना के घर पांच दिन बाद हथियारों के साथ आ धमके और गाली-गलौज शुरू कर दी। इसी बीच शाम करीब पांच बजे उनका पुत्र विश्वदीपक सक्सेना अपनी नौकरी कर वापस घर आ गया था। जिस पर उपरोक्त हमलावर हो गए, किसी तरह पिता ने अपने बेटे को छुड़ाकर घर ले जाने का प्रयास किया तो मोहन शुक्ला के छोटे भाई ने लाइसेंसी रिवाल्वर से विश्वदीपक पर फायर कर दिया, जो उसे करीब-करीब छूते हुए निकल गई। जिसके बाद ज्ञान प्रकाश द्वारा एसएसबी में कार्यरत अपने बेटे रजनीश को फोन कर घटना की जानकारी दी गई तो वह आनन-फानन में छुटटी लेकर घर पहुंचा। आफिस से निकलते समय ही उसने स्थानीय चैकी पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी। हालांकि पुलिस फिल्मी तर्ज पर समय से नहीं पहुंची, जब पहुंची तब उपरोक्त दबंग वहां से जा चुके थे। जिसके बाद पीड़ित ने कोतवाली जाने का प्रयास किया तो दबंगों द्वारा उसे जान-माल का नुकसान पहुंचाने की साजिश की जाने लगी। जिस कारण पीड़ित दूसरे दिन सुबह अपनी तहरीर लेकर कोतवाली पहुंच गया। कोतवाली पुलिस ने मामले में रिपोर्ट तो दर्ज कर ली। वहीं जब इसका पता विपक्षियों को चला तो उन्होंने कोतवाली पहुंचकर अपनी तहरीर दी। पीड़ित का आरोप है कि दबंगों ने अपनी ऊंची पहुंच के चलते झूठी रिपोर्ट न सिर्फ दर्ज करा ली, बल्कि पीड़ित के परिवार पर 307 जैसी संगीन धारा में मुकदमा दर्ज करा दिया। पीड़ित अपने परिवार के जान-माल की सुरक्षा व मामले की निष्पक्ष जांच के लिए अब उच्चाधिकारियों की चैखट के चक्कर लगा रहा है। अगर घटनाक्रम पर नजर डाली जाए तो कोतवाली पुलिस की कार्यशैली संदेह के घेरे में आ रही है! इस सम्बन्ध में सदर कोतवाल अशोक कुमार पाण्डेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दोनों की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच चल रही है।