एक तरफ खतरनाक स्मॉग से दिल्ली को मुक्ति नहीं मिल रही है तो दूसरी तरफ इस पर सियासत बढ़ती जा रही है।पल्यूशन के लिए पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहराने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दावों को खारिज करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने कहा है कि 80 फीसदी प्रदूषण के लिए दिल्ली खुद जिम्मेदार है। फसलों के जलने से 20 फीसदी का ही इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई है। कल सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा।
पल्यूशन के लिए दिल्ली ही जिम्मेदार – केंद्र ने कहा
पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘हमने 4 राज्यों के साथ बैठक की है। सभी मिल-बैठकर इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे। पल्यूशन से निपटने के लिए राज्यों को केंद्र की तरफ से पूरी मदद की जाएगी। आरोप-प्रत्यारोप बंद का दौर खत्म हो। अभी हवा को पल्यूशन मुक्त करने की जरूरत है, ताकि सभी लोग सांस ले सकें। जब तक राज्य खुद आगे नहीं बढ़ती, तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा।’
अनिल दवे ने कहा, ‘राज्य सरकार सड़कों पर पानी का छिड़काव करे। पल्यूशन की बड़ी वजह धूल है। हम एक इन्वाइरनमेंट प्रोटेक्शन कैलेंडर जारी करेंगे, जोकि राज्यों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा।’ गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में स्मॉग के लिए मुख्य रूप से पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेष जलाए जाने को जिम्मेदार बताया था।
एनजीटी ने लगाई फटकार
सोमवार को एनजीटी ने पल्यूशन के मुद्दे पर केंद्र सहित दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। एनजीटी ने सभी सरकारों से पूछा कि उन्होंने पल्यूशन को रोकने के लिए क्या किया है। धूल को दबाने के लिए अभी तक सड़कों पर पानी का छिड़काव क्यों नहीं शुरू किया, हेलिकॉप्टर से पानी छिड़काव के प्रस्ताव का क्या हुआ?
एनजीटी ने पूछा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है? पंजाब में 70 फीसदी जमीन पर फसलों के अवशेष को जलाया जा रहा है। दिल्ली सरकार क्या कर रही है? क्या प्रदूषण को खत्म करने की जिम्मेदारी आपकी नहीं है? नगर निगम क्या कर रही है?