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दुधवा में रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा गया चंदू बाघ

देव श्रीवास्तव
पलियाकलां-खीरी।

|लगातार की जाती रहेगी इस टाइगर की मानीटरिंग|

|पीलीभीत की महिला को निवाला बनाने के बाद चर्चा में आया था चंदू बाघ|

दुधवा टाइगर रिजर्व में एक टाइगर का इजाफा हो गया है। जी नहीं किसी शिशु टाइगर का जन्म नहीं हुआ है बल्कि बाहर से आए बिगड़ैल बाघ को दुधवा में छोड़ा गया है। जिनका नाम है चंदू। चंदू को रेडियो कॉलर लगाकर दुधवा के घने जंगलों में शुक्रवार को छोड़ा गया, जिसके बाद वह दुधवा का हिस्सा बन गया। उसकी लोकेशन पर बराबर नजर रखी जाएगी।
  दरअसल जिला पीलीभीत के चांदपुर में एक बाघ ने उत्पात मचाया था। यहां पर बाघ ने महिला को अपना निवाला बना लिया था। इसका नाम रखा गया चंदू। हालांकि बाद में वहां पर इसे खेत में ट्रैंकुलाइज कर दबोच लिया गया था। चूंकि वह एक महिला पर हमला कर चुका था, ऐसे में उसके नरभक्षी होने की आशंका प्रबल थी। माना जा रहा था कि उसे चिडियाघर ले जाएगा लेकिन उसे एक और मौका दिया गया। तय हुआ कि इस बाघ को दुधवा जंगल, यानि उसके घर में ही छोड़ दिया जाए। शुक्रवार को सारी औपचारिकता के बाद चंदू नाम के बाघ को दुधवा पार्क अधिकारियों की मौजूदगी में जंगल ले जाकर छोड़ दिया गया। हालांकि उसे यूं ही छोड़कर भुला नहीं दिया जाएगा बल्कि उसकी मानीटरिंग होगी।

कहा पर है कितने बाघ

 दुधवा टाइगर रिजर्व में करीब 35 और किशनपुर सेंचुरी में करीब 55 बाघ हैं। जिनकी गणना समय-समय पर कैमरा ट्रैपिंग विधि से होती है। हालांकि चंदू नाम के इस बाघ की मानीटरिंग रेडियो कॉलर से ही की जाएगी।
 

क्या कहते है अधिकारी

डिप्टी डायरेक्टर महावीर कौजलगि ने बताया कि चंदू बाघ को रेडियो कॉलर लगाया गया है। इससे वह सेटेलाइट से सीधा जुड़ा रहेगा और उसकी लोकेशन के बारे में हमें जानकारी रहेगी। इसका मकसद यह है कि वह दोबारा आबादी के आस पास पहुंचकर किसी को नुकसान न पहुंचा सके। दुधवा में रेडियो कॉलर लगाकर किसी टाइगर को छोडने का यह दूसरा मौका है, इसीलिए यह विशेष भी है। इससे पहले चंदू का स्वास्थ्य परीक्षण कानपुर से आए चिकित्सक व यहां की टीम ने किया। उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ पाने के बाद ही जंगल में छोडने की अनुमति मिली।