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दक्षिण कोरिया में बसों में लगी सेक्स गुलाम की प्रतीक ‘कम्फर्ट वूमन’ की मूर्ति

दक्षिण कोरिया ने युद्धकालीन सेक्स गुलाम की प्रतीक वाली ‘कम्फर्ट वूमन’ की मूर्तियां राजधानी सियोल में चलने वाली बसों में लगाई है। ये मूर्तियां जापान के 1910-45 के कब्जे से आजादी की सालगिरह के एक दिन पहले बसों के भीतर स्थापित की गई हैं। ये बसें सियोल की सड़कों पर चल रही हैं।
‘कम्फर्ट वूमन’ उन महिलाओं को कहा जाता है, जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों के आराम और मनोरंजन के लिए जबरन वेश्या बनने पर मजबूर हुईं थीं। इतिहासकारों का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तकरीबन 2 लाख महिलाएं सेक्स गुलाम बनाई गईं थीं, जिनमें ज्यादातर कोरिया और चीन समेत एशिया के दूसरे हिस्सों से थीं।डोंग-ए यातायात सर्विस के प्रमुख रिम जिन वुक ने कहा कि हमने ये मूर्तियां लगाई हैं ताकि महिलाओं पर हुई यातना को जिंदा रखा जा सके। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे हमारे दर्दनाक इतिहास को नहीं भूलें।

सितंबर के आखिर में इन मूर्तियों को स्थायी प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक जगहों पर भेज दिया जाएगा। इस दौरान बसों में ऑडियो सिस्टम से युद्धकालीन सेक्स दासियों की कहानियों को संक्षिप्त में बयां किया जा रहा है।ये बसें मध्य सियोल में जापानी दूतावास से होकर गुजर रही हैं। सनद रहे कि इससे पहले दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में जापानी वाणिज्य दूतावास के सामने नग्न बैठी हुई एक लड़की की मूर्ति रखी गई थी।

इसको लेकर जापान में काफी हंगामा हुआ था। जापान ने मूर्ति लगाने का विरोध करते हुए दावा किया था कि मूर्ति दक्षिण कोरिया के साथ हुए समझौते का उल्लंघन करती है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में दोनों देशों के बीच ‘कम्फर्ट वूमन’ का मुद्दा अंतिम रूप से सुलझाने पर सहमति बनी थी।वहीं दक्षिण कोरिया हमेशा से जापान से मांग करता रहा है कि वह ‘कम्फर्ट वूमन’ के लिए माफी मांगे और मुआवजा दे।

 

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