देहरादून। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार को आए एक महीना पूरा हो चुका है। इस एक महीने के कार्यकाल में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न सिर्फ भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दे पर ठोस फैसले लिए बल्कि सुशासन का संदेश भी दिया। 11 मार्च को देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा मणिपुर और गोवा में भी भाजपा सरकार ने अपनी शानदार जीत दर्ज की।
उत्तराखंड सरकार ने पहले ही सत्र में भ्रष्टाचार पर प्रहार की मंशा साफ की
अगर उत्तराखंड की नई सरकार के इस एक कार्यकाल में किए गए कामों की बात की जाए तो त्रिवेंद्र सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। आने वाले पांच साल में किसानों का कर्जा माफ़ करना, शराब व्यापारियों को राहत देने के लिए नेशनल व स्टेट राजमार्गों को जिला मार्ग घोषित किया जाना जैसे फैसले इस एक महीने के कार्यकाल में काफी अहम रहे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह अपने फैसलों को लेकर मीडिया में सुर्खियां न बटोर रहे हो लेकिन अपनी उनकी सरकार धीमे-धीमे ही सही मगर विश्वास के साथ मजबूत कदम बढ़ा रही है।
इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए ऊधमसिंह नगर जिले में नेशनल हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाले और पिटकुल में ट्रांसफार्मर खरीद घोटाले में छह पीसीएस व चार इंजीनियर्स को निलंबित किया। इसके साथ ही एनएच घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति मुख्यमंत्री ने की। इनके अलावा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध खनन पर रोक के लिए विशेष टीम गठित की।
बता दें, त्रिवेंद्र सरकार ने तत्कालीन कांग्र्रेस सरकार के सस्ती हवाई सेवाओं में नियमों के उल्लंघन के फैसले को भी रद किया क्योंकि जिस प्राइवेट कंपनी के माध्यम से यह सेवा संचालित की जा रही थी उसके पास न अनुभव था और न ही संसाधन।
राज्य सरकार ने न सिर्फ मोदी सरकार से 3000 करोड़ और कर्णप्रयास-ऋषिकेश रेल लाइन के लिए 2057 करोड़ रुपये की राशि जारी कराई बल्कि रेल विकास निगम और ऑल वेदर रोड को मुख्यमंत्री ने समयबद्ध कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं ताकि लोगों को जल्द इसका लाभ मिल सके।