लखीमपुर-खीरी।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर हुआ गोष्ठी का आयोजन
कैसे रखें अपना ख्याल
खाना हमारे शरीर में ईंधन की तरह काम करता है। खाने से ही हमें पौषक तत्व मिलते हैं जो कि शरीर को कार्य करने में मदद करते हैं ऊर्जा देते हैं। भोजन से ही मस्तिष्क भी बेहतर कार्य कर पाता है। नियमित खाएं जिससे जिससे शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहे। खाना छोड़ने से शरीर और मस्तिष्क दोनों ही थका हुआ महसूस करते हैं। बहुत ज्यादा कैफीन से बचें। कैफीन की ज्यादा मात्रा आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है।
30 मिनट का व्यायाम तनाव करें दूर
व्यायाम से आपका शरीर दुरूस्त और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। इसके लिए बहुत ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं है। पूरे दिन में केवल 30 मिनट का व्यायाम भी आपके मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। कुछ ऐसे व्यायाम चुनें जिन्हें करने में आप आरामदायक और खुशी महसूस करें। एक्सरसाइज़ अकेले करने के बजाए किसी के साथ करें। जब भी आप तनाव महसूस करें तो टहलने जरूर जाएं।
पर्याप्त नींद अवश्य लें
डॉ संजय वर्मा ने बताया कि नींद का आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम अच्छी और पर्याप्त नींद लेते हैं तो हम तनाव पर अच्छी तरह काबू पा सकते हैं, ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और सकारात्मक सोच पाते हैं। आपको कितनी नींद चाहिए यह आपके अपने शरीर पर निर्भर करता है। यदि आप दिनभर में नींद महसूस नहीं करते हैं तो समझ लीजिए कि आपने पूरी नींद ली है।
सकारात्मक सोच से मन रहता हैै प्रसन्न
किसी भी कार्य को लेकर यह न सोचें कि केवल बुरा ही होगा न ही यह कि केवल अच्छा होगा। सकरात्मक साचेते हुए जो भी होगा उसे स्वीकारने की प्रवृत्ति रखें। आप कैसे दिखते हैं, या कोई आपको पसंद करता है या नहीं, इन सब बातों की परवाह न करें। लोग सूरत से नहीं सीरत से प्रभावित होते हैं। नकारात्मक सोच वालों से दूर रहें।
शौक को न करें नजरअंदाज
चाहें जितने भी व्यस्त हों लेकिन अपने शौक को जरूर पूरा करें। उसके लिए समय जरूर निकालें। ऐसा करने से आप मानसिक रूप से भी खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। मस्तिष्क में फील गुड हार्मोन का स्त्राव होता है जिससे आपकी मेंटल हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।
झाड़ फूंक से ना करें इलाज
शिक्षा की कमी के कारण आज भी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक बिमारियों को झाड़ फूंक से ठीक करने की कोशिश की जाती है। जिस में अधिकतर मामलों में बीमार व्यक्ति या तो और अधिक बीमार हो जाता है। कई मामलों में उसकी मौत तक हो जाती है। ऐसे में ज़रूरत है कि लोग मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक हों।