जुड़वा बच्चे जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा होता है, उन्हें दिल का दौरा या मृत्यु दर का खतरा ज्यादा नहीं होता। लेकिन उनमें मधुमेह टाइप 2 के खतरे की ज्यादा संभावना रहती है। एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 4,046 मोनोजाइगोटिक जुड़वा बच्चों के स्वास्थ्य आकड़ों की तुलना शरीर के कई स्तरों के वसा से की, जिसे बॉडी मास इंडेक्स से मापा गया। आनुवंशिक रूप से समान जुड़वा संतानों में जिनके बीएमआई अलग थे, शोधकर्ताओं को मोटापे और स्वास्थ्य के खतरों की, जो आनुवंशिक कारकों से स्वतंत्र हैं, तुलना करने का मौका मिला।
औसतन 12.4 साल की उम्र के बाद जुड़वा बच्चों के अंतर की तुलना की गई, जब मृत्यु दर, दिल का दौरा और मधुमेह टाइप-2 की घटना होती है।
अध्ययन में पता चला कि ज्यादा बीएमआई वाले जुड़वा संतानों में मृत्युदर और दिल का दौरा पड़ने की तुलना में उनके विपरीत पलते जुड़वा की तुलना में कम था।
परिणाम दिखाते हैं कि ज्यादा बीएमआई वाले जुड़वा संतानों में (औसत संख्या 25.1) 203 दिल का दौरा (पांच प्रतिशत) और 550 मृत्यु(13.6 प्रतिशत) अनुवर्ती अवधि के दौरान और कम बीएमआई वाले में (औसत संख्या 23.9) 209 दिल का दौरा(5.2 प्रतिशत) और 633 मृत्यु (15.6 प्रतिशत) इसी अवधि के दौरान देखने को मिले।
यूमिया विश्वविद्यालय के सामुदायिक चिकित्सा और पुर्नवास विभाग के शोधकर्ता पीटर नॉर्डस्ट्राम ने कहा,”परिणाम से पता चला कि जीवन शैली में बदलाव के साथ मोटापे में कमी की वजह से मृत्यु और दिल के दौरे पर कोई असर नहीं पड़ता। यह मोटापे से जुड़ी हुई परंपरागत समझ की वजह से है।”
यह अध्ययन जामा इंटरनल मेडिसीन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ज्यादा बीएमआई से मधुमेह टाइप-2 होने का खतरा बढ़ जाता है।