Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

जानिए किस तरह हुआ सूर्य का जन्म और आई पहली किरण धरती पर

मान्यता है कि सूर्य देवता को रोजाना जल चढ़ाने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है। सारे जगत का निर्माण करने वाले ब्रह्माजी ने ही सूर्य की भी रचना की। जानिए किस तरह हुआ सूर्य का जन्म और आई पहली किरण धरती पर

सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी के मुख से ऊं शब्द प्रकट हुआ। तब सूर्य का प्रारंभिक स्वरूप सूक्ष्म था। उसके बाद भू: भुव और स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों पिंड के रूप में ऊं में विलीन हुए तो सूर्य को स्थूल स्वरूप मिला। इसके पश्चात ब्रह्माजी के चार मुखों से वेदों की उत्पत्ति हुई जो इस तेज रूपी ऊं स्वरूप में जा मिले। फिर वेद स्वरूप यह सूर्य ही जगत की उत्पत्ति, पालन व संहार के कारण बने। मान्यता तो यह भी है कि ब्रह्माजी की प्रार्थना पर ही सूर्यदेव ने अपने महातेज को समेटा व स्वल्प तेज को धारण कर लिया। 

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के विस्तार के लिए ब्रह्माजी ने दाएं अंगूठे से दक्ष और बाएं अंगूठे से उनकी पत्नी को उत्पन्न किया। दक्ष के 13कन्याएं हुईं। दक्ष की तेरहवीं कन्या का विवाह ब्रह्माजी के पुत्र मारीचि से हुआ। मारीचि से कश्यप उत्पन्न हुए। जो सप्त ऋषियों में से एक हुए। 

कश्यप का विवाह अदिति से हुआ। कश्यप और अदिति से उत्पन्न सभी पुत्र देवता कहलाए। कश्यप की दूसरी पत्नी दिति से दानव उत्पन्न हुए। दानव सदैव देवताओं से लड़ते रहते थे।