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जर्मनी में जब 2 खरब हो गई थी ब्रेड बन की कीमत

जब नोट जलाकर खाना बनाने लगे लोग

साल 1923 में कर्ज के भारी बोझ तले दबा जमर्नी जब प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) की आपदा से मुक्ति पाने के लिए छटपटा रहा था, तभी वहां के बैंक नोट (मार्क) की लगभग कोई कीमत ही नहीं रही। देखते ही देखते एक ब्रेड की कीमत अरबों मार्क की हो गई। जर्मनी में आई इस आपदा को दुनिया ‘वाइमर रिपब्लिक का 1923 का संकट’ के नाम से जानती है। आगे की स्लाइड्स पर जाएंगे तो आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि क्या नोटों की ऐसी भी दुर्दशा हो सकती है…जर्मनी में जब 2 खरब हो गई थी ब्रेड बन की कीमत

बहुत तेजी से गिरी थी नोटों की कीमत

दिसंबर 1922 में एक डॉलर का मूल्य 2,000 जर्मन मार्क्स के बराबर था जो मई 1923 में 20,000 मार्क्स और अगस्त में 10 लाख से भी ज्यादा मार्क्स के बराबर का हो गया।

ब्रेड बन की कीमत 2 खबर मार्क!

हालात इतने बिगड़ गए कि जनवरी 1923 में जो ब्रेड बन 250 मार्क्स में मिलता था, वह नवंबर आते-आते 2 खरब मार्क्स का हो गया।

वजन से बिकने लगे कैश

इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जर्मनी में जन्मदर घट गई और मृत्यदर में इजाफा हो गया। तब शिशु मृत्यु दर में 21% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जर्मनी में कैश वजन करके बिकने लगे।

नोट छोड़कर सूटकेस चुरा लेता था चोर

लोगों को अपने वेतन की रकम सूटकेसेज में लाने पड़ते थे। एक व्यक्ति ने नोटों से भरा सूटकेस यूं ही छोड़ दिया। चोर नोट छोड़कर सूटकेस ले गया। तस्वीर में नोट ढोते लोग।

पल-पल बढ़ रही थी महंगाई

एक लड़के को दो ब्रेड बन खरीदने के लिए भेजा गया। दुकान के रास्ते में उसे बच्चे फुटबॉल खेलते दिख गए। बच्च वहीं फुटबॉल खेलने लगा। थोड़ी देर बाद वह दुकान पर पहुंचा तो बन का दाम इतना बढ़ चुका था कि वह दो क्या एक भी बन नहीं खरीद पाया।

100 अरब मार्क का नोट

एक व्यक्ति जूते खरीदने बर्लिन शहर के लिए निकला। लेकिन जब तक बर्लिन पहुंचा, उसके पास पड़े नोटों का मूल्य इतना घट गया कि एक कप कॉफी पीने के बाद उसके पास घर लौटने के लिए बस का किराया ही बचा। 

घर बेचकर भी नहीं खरीद पाई ब्रेड

एक महिला ने गुजारे के लिए अपना घर बेच दिया। लेकिन एक हफ्ते बाद उसके पास पड़े पैसे का मूल्य इतना गिर गया कि वह एक ब्रेड भी नहीं खरीद सकी। दरअसल, नोटों की वैल्यु इतनी कम हो गई कि इंधन की जगह नोट जलाना सस्ता पड़ रहा था।

नोटों का घरौंदा बनाने लगे बच्चे

1923 में जर्मनी में नोटों की दुर्दशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बच्चे नोटों का घरौंदा बनाकर खेलने लगे थे।

नोटों की पतंग

यूं तो नोटों की दुर्दशा की अनेक कहानियां हैं। इस तस्वीर को ही देख लीजिए। बच्चे नोटों की पतंग बनाकर उड़ा रहे हैं।