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जब रिश्ते में पड़ जाए दरार

अपने आसपास हमें ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जिनकी शादी काफी उतार-चढ़ाव से गुजरी, मगर वे साथ रहे। ऐसे कपल भी हैं, जिन्होंने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं, शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए। अरेंज्ड हो या लव, शादी धैर्यrelationship_23_02_2016, भरोसे और सामंजस्य के आधार पर ही चलती है…। यह जितना गहरा रिश्ता है, उतना ही नाजुक भी है। इसलिए तो जो लोग शादी से पहले ‘हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते’ का राग अलापते नजर आते थे, चंद ही बरस बाद ‘हम तेरे संग अब रह नहीं सकते’ कहते नजर आते हैं।

दूसरी ओर भले ही तलाक के आंकड़े समाज में बढ़ रहे हों, पर ठोस हकीकत यह है कि आज भी ज्यादातर शादियां परिवार, समाज और बच्चों की खातिर चलाई जा रही हैं। कई बार जिन बच्चों की खातिर रिश्तों को खींचा जाता है, वे ही माता-पिता के असहज रिश्तों के कारण घुटन महसूस करने लगते हैं।

एक्सपटर्स के पास ऐसे कई मामले आते हैं, जहां बुरी शादी के कारण बच्चों का निजी विकास अवरूद्ध होने लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जबरन रिश्तों को ढोना सही है? अक्सर लोगों को कहते देखा है कि शादी एडजस्टमेंट और समझौते के बल पर ही टिकती है, लेकिन सच यह है कि यह एडजस्टमेंट एक सीमा तक ही किया जा सकता है। अगर कोई लगातार अपनी अस्मिता, सुरक्षा, आत्मसम्मान, अस्तित्व, सेहत और बच्चों के भविष्य को ताक पर रखकर एडजस्ट करता रहेगा तो जाहिर है, एक दिन स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। ऐसी शादी में रहने से बेहतर है कि इससे बाहर निकला जाए।

बच्चों के भविष्य का सवाल

35 वर्षीय लवी अग्रवाल मानती हैं कि वह पिछले 10 साल से केवल बच्चों की खातिर रिश्ते को ढो रही हैं। उनकी शादी में प्यार और विश्वास खो चुका है, लेकिन बच्चों को माता-पिता दोनों चाहिए, इसलिए वे एक साथ हैं। जिंदल फैमिली की आठ साल की बच्ची अवंतिका दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही थी। नॉर्मल बच्चों की तरह न तो वह घर से बाहर निकलकर खेलती थी और न ही उसके कोई दोस्त थे। पापा के घर लौटते वक्त वह डर से कांपने लगती थी, यह सोचकर कि अब मां-पापा का झगड़ा शुरू हो जाएगा। इस कारण पढ़ाई में वह पिछड़ गई। जिसके सबूत उसके रिपोर्ट कार्ड्स हैं।

मनोचिकित्सकों का कहना है कि जो कपल हमेशा झगड़ते रहते हैं, उनके बच्चों का सहज विकास नहीं हो पाता। ऐसे बच्चे या तो दब्बू हो जाते हैं या विद्रोही। इससे पढ़ाई ही नहीं, उनका पूरा व्यक्तित्व प्रभावित होता है। ऐसे में कई बार इनका अलग होना ही सही फैसला होता है। तलाक से बच्चों को यही तकलीफ होती है कि उनके माता-पिता अलग हो गए, लेकिन बुरी शादी में उनका पूरा भविष्य ही बुरा हो सकता है।

बेमेल रिश्ते के नुकसान

  • ऐसे रिश्ते में आत्मसम्मान कहीं गुम हो जाता है।
  • रिश्तेदार व दोस्त आपसे कतराने लगते हैं। वे आपके घर आने और आपको घर बुलाने से बचना चाहते हैं।
  • दोनों मानसिक तनाव में रहने लगते हैं।
  • अपने और बच्चों के भविष्य की चिंता हर समय परेशान करती है।

जिस रिश्ते में खुशी और प्यार न हो, उसे निभाने का कोई फायदा नहीं। इसलिए बाहर निकलें और आगे बढ़ें। अलग होने का फैसला मुश्किल हो है, लेकिन यदि अपनी और बच्चों की जिंदगी का सवाल सामने हो तो यह जरूरी हो जाता है। बाहर नहीं निकलेंगे तो जीवन में अन्य विकल्प नहीं ढूंढ सकेंगे और न ही अकेले जिम्मेदारियां संभालने की हिम्मत पैदा कर सकेंगे। इसलिए सही समय पर फैसला लेना जरूरी है।

कब जरूरी है अलग होना

  • आप अकेले ज्यादा खुश रहते हैं और दूसरे की उपस्थिति एक अनावश्यक बोझ लगती है। आपको कभी एक-दूसरे की जरूरत भी महसूस नहीं होती।
  • दोनों के बीच लगातार मौखिक-शारीरिक हिंसा और शोषण की स्थितियां बन रही हों।
  • मैरिज काउंसलर की थैरेपी ने लाभ न पहुंचाया हो और परिजनों का हस्तक्षेप भी काम न आ रहा हो।
  • पार्टनर का व्यवहार इतना बुरा हो कि आपके समझाने या सुध्ाारने के सारे प्रायास नाकाफी साबित हो गए हों।
  • दोनों एक-दूसरे से झूठ बोलते हों और बातें छिपाते हों।
  • दोनों के बीच बातचीत बंद हो। एक घर में अजनबी की तरह रह रहे हों।

तलाक से पहले

  • आप तलाक क्यों चाह रहे हैं, ऐसे कारणों की सूची बनाएं और सोचें कि क्या वे कारण सही हैं या आप ओवर रिएक्ट कर रहे हैं।
  • उन कारणों को परिजनों के साथ शेयर करें और उनसे सलाह लें। कई बार भावनात्मक ऊहापोह या भ्रम की स्थिति में व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है, ऐसे में परिवार के सदस्यों, दोस्तों या काउंसलर की सलाह लेना बेहतर होता है।
  • काउंसलर डॉ. निशा खन्ना का कहना है कि हम कभी शादी तोड़ने की सलाह नहीं देते बल्कि चाहते हैं कि पति-पत्नी अपने सारे वैचारिक मतभेद दूर करें। हम उनकी बातचीत सुनते हैं और समस्याएं सुलझाने में मदद भी करते हैं। लेकिन कई बार रिश्ते ऐसे मोड़ पर पहुंच जाते हैं, जब एडजस्टमेंट मुश्किल हो जाता है। ऐसा कम मामलों में ही होता है लेकिन यदि हो जाए तो सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं होता।

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