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गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनाना चाहती है जनता, जानें- क्यों?

उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया. इस साल 9 नवंबर को इस राज्य के बने हुए 18 वर्ष हो जाएंगे. मगर अभी तक उत्तराखंड की अपनी स्थाई राजधानी नहीं बन पाई है.

सरकारें आईं.. गईं. लेकिन राजधानी के इंतज़ार में उत्तराखंड निवासियों की आंखें अभी तक तरस रही हैं. राजनीतिक द्वंद में फिर चाहे वह भाजपा हो या फिर कांग्रेस सभी आंदोलन से पैदा हुए इस राज्य को छलने का काम कर रहे हैं.

2017 में भारी जनादेश के बाद पहाड़ की भोली भाली जनता ने भाजपा को चुना. शायद इस उम्मीद में कि इस बार जरूर उनकी ये मांग पूरी होगी. मगर इस बार भी पहाड़ को न्याय मिलेगा इसमें थोड़ा संशय है, क्योंकि भाजपा के ही दो धुरी निर्णायक अपने अलग-अलग बयानों से ये संशय पैदा कर रहे हैं.

एक तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट गैरसैण को राजधानी बनाने की बात कर रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इससे इतर राय रखते हैं. वह खुद गैरसैण को राजधानी न बनाए जाने की बात करते हैं जबकि गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को लेकर अपने बयानों से चर्चित रहे हैं. शायद यही वजह है कि आंदोलन से पैदा हुए उत्तराखंड राज्य में एक बार फिर से आंदोलन करवट लेने लगा है.

प्रदेश की जनता भोलीभाली जरूर है, मगर अपने सशक्त निर्णय को लेकर पूरे भारत वर्ष में पहचान रखती है. त्रिवेंद्र सरकार को यह सोचना, समझना होगा कि चिंगारी आग में तब्दील हो, उससे पहले ही अपने ही प्रदेश की जनता के बारे में सही राय बनानी होगी. अगर ऐसा न हुआ तो 17 सालों से दबे इस आंदोलन की आग कही उनकी ही सरकार को झुलसा न दे.