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किसान का शिकार करने वाला बाघ आखिरकार पकड़ में आ ही गया

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर/निघासन-खीरी।

सहतेपुरवा गांव में कामता को शिकार बनाने के बाद गांव से कुछ दूरी पर बंगलहा निवासी महेश के गेहूं के खेत में छिपे बाघ को आक्रोशित ग्रामीणों का शिकार  बनना पड़ा। ग्रामीणों ने खेत को घेर कर बाघ पर लाठी डडों से प्रहार किए। जिससे बाघ को काफी चोटे आईं। गुस्साए ग्रामीणों को देख कर वन विभाग सकते में आ गया और आनन-फानन में बमुश्किल पुलिस की मदद से बाघ को पकड़ा जा सका। 
     सुबह कामता के शव मिलने के बाद से ही घटना स्थल पर आसपास के ग्रामवासियों की भीड़ एकत्र थी। दोपहर करीब दो बजे बाघ पर निगरानी के लिए आसपास के सहतेपुरवा, कोनहापुरवा, कृपाकुंड व बंगलहा कुटी आदि कई गांवों के आक्रोशित ग्रामीणों ने चारों तरफ से खेत की घेराबंदी कर ली। गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ को घेर कर उस पर लाठी डडों से प्रहार किए। जिसकी सूचना पर लुधौरी के वन क्षेत्राधिकारी पलटूराम राना भी कई वनकर्मियों के साथ वहां पहुंच गए। करीब दो बजे तक ग्रामीण बाघ को उसी खेत में घेरे रहे। इसके बाद वहां डीएफओ डा. अनिल पटेल, एसडीओ डीबी सिंह, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ व डब्ल्यूटीआई की टीमें पहुंची और पड़ोस के सुक्खा सिंह, जोगेंद्र सिंह व सुखवंत सिंह के झालों से व आसपास के गांवों से सात ट्रैक्टर मंगाकर खेत में घुसने पर खेत में मौजूद बाघ इधर-उधर भागने लगा। आसपास मौजूद ग्रामीणों ने अपनी तरफ बाघ को आते देख डरकर उस पर लाठी-डण्डों से प्रहार किया। जिससे बाघ घायल हो गया। घायल बाघ को देखकर कई बार ग्रामीणों ने भगदड़ भी मची। इसके बाद पुलिस की मदद से उसको जाल डालकर पकड़ लिया गया। वहां से उसको लुधौरी रेंज होते हुए मझगईं रेंज ले जाया गया है जहां उसका इलाज किया जा रहा है। डीएफओ डा. अनिल पटेल ने बताया कि घायल बाघ को इलाज के लिए लखनऊ चिड़ियाघर ले जाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वैसे तो बाघ की हालत सही, लेकिन ऐतिहात के तौर पर वहां उसके पूरे शरीर का चेकअप किया जाएगा। जिसके बाद उसे वापस लाया जाएगा। 

वनविभाग की लापरवाही का नतीजा बाघ को भुगतना पड़ा

विगत कई दिनों से निघासन क्षेत्र में बाघ की दहशत फैली हुई थी। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से नही लिया। जिसके चलते बाघ गांव में पहले तो जानवरों को अपना निवाला बनाता रहा और गुरूवार की रात बाघ ने खेत की रखवाली कर रहे कामता को ही अपना शिकार बना डाला। जिससे गुस्साए ग्रामीणों का शिकार आखिरकार बाघ को होना पड़ा। बताया जाता है कि लाठी-डंडों के प्रहार से बाघ बुरी तरह घायल हो गया था। इस तरह वन विभाग की लापरवाही का नतीजा बाघ को भुगतना पड़ा।