नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में बड़े नोटों ( 500-1000) पर बैन लगा दिया था। जिसके बाद लोगों ने बैंकों में रकम जमा कराई और कई जगहों बड़े पैमाने पर निवेश किया। नोटबंदी के बाद सरकार को यह जानकारी भी मिली कि लोग अपनी अघोषित आय को बैंकों में जमा करा रहे हैं। अब पता चला है कि पिछले एक साल में संदिग्ध ट्रांजैक्शंस में 6 गुना की बढ़ोत्तरी हुई हैं। हालांकि यह आंकड़ा पूरे साल का है, इसमें सिर्फ 9 नवंबर से 31 दिसंबर, 2016 तक की ही अवधि शामिल नहीं है।
क्या है संदिग्ध लेनदेन?
संदिग्ध ट्रांजैक्शंस के बारे में बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान केंद्र सरकार की फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट को बताते हैं। आमतौर पर एक-दूसरे से व्यक्तिगत लेन-देन 10 लाख रुपये तक रहता है तो कोई बात नहीं। लेकिन, इससे अधिक का आंकड़ा होने पर इसे संदिग्ध मानते हुए पड़ताल की जाती है। संदिग्ध लेनदेन का यह एकमात्र उदाहरण नहीं है अन्य कई आधारों पर भी वित्तीय संस्थान किसी ट्रांजैक्शन को संदिग्ध मानते हुए सवाल खड़े कर सकती हैं।
-अगर आपने सामान्यत: पूर्व में की जा रही जमा-निकासी की मात्रा से अधिक राशि खाते में जमा की है या फिर उसकी निकासी की है या जमा कर तुरंत निकासी की है तो इसकी रिपोर्टिंग संदिग्ध लेन-देन के रूप में हो सकती है। इसके अलावा बैंकों द्वारा तय रकम की मात्रा से ज्यादा आपने जमा-निकासी की है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है।
-बैंक खाते में आप अमूमन महीने में कितने क्रियाकलाप करते हैं यह मायने रखता है। अगर आपने किसी बंद पड़े खाते (डॉरमेट अकाउंट) में अचानक बड़ी धनराशि की जमा-निकासी करते हैं तो यह संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है। इसके अलावा आपके खाते के पिछले लेन-देन, ट्रांजैक्शन और असमान्य क्रियाकलाप भी इसकी जद में आते हैं। इसके अलावा घोषित व्यवसाय के अलावा किसी और तरीके से आपके खाते में अचानक अधिक धनराशि की जमा-निकासी भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आ सकता है।
-अगर एक ही खाताधारक, इंट्रोड्यूसर या अथॉराइज्ड सिग्नेटरी के पास कई बैंकों में कई अकाउंट (मल्टीपल अकाउंट) बिना किसी वाजिव कारण के है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन के रडार पर आ सकता है। इसके अलावा मल्टीपल अकाउंट्स के बीच बिना किसी ठोस वजह के फंड ट्रांसफर भी संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है।
-अगर आपने असामान्य या अनुचित जटिलता के साथ बैंकिंग कारोबार किया है या नकदी के साथ ड्राफ्ट या निगोशिएबल इन्सिट्रूमेन्टस की खरीदारी की है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन हो सकता है। इसके साथ ही घोषित कारोबार के अलावा किसी दूसरे कारोबार या शख्स से किए गए असामान्य लेन-देन भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आ सकता है।
-अगर बैंक खाता धारकों या अथॉराइज्ड सिग्नेटरीज ने गलत पहचान पत्र दिया है या नो योर कस्टमर्स (KYC) की औपचारिकता वांछित समय-सीमा में पूरी नहीं की है तो उस खाते से किया गया हर लेन-देन संदिग्ध हो सकता है। किसी स्थापित कारोबार या ब्रांड के नाम या मिलता-जुलता नाम से दूसरा खाता खोलना भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आता है।