गुदगुदी! इंसानों को लगाई जाए तो हंसने लगता है, जानवरों को लगाई जाए तो कदम डगमगाने लगते हैं और यदि पेड़ को लगाई जाए तो खिलखिलाने लगता है। यदि पढ़कर आपको जरूर आश्चर्य होगा कि क्या भला पेड़ों को भी गुदगुदी लगती है। अभी तक न तो ऐसा पढ़ा और न ऐसा सुना। पर यह सही है और वह भी सौ फीसदी।
प्रदेश एक एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान दुधवा नेशनल पार्क यानी करीब 1200 प्रजाति के पक्षियों और बाघ, गैंडा और भालू जैसी विलुप्त प्राय: होती नस्लों का बसेरा। विचरण करते जानवर, आसमान तक उलंगे मारते तरह-तरह के पक्षी और कलरव करती नदियां किसी को भी बरबस अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यही वजह है कि देश के ही नहीं विदेशी सैलानी भी प्रकृति की इस मनोरम छठा की ओर खींचे चले आते हैं। इतना ही नहीं करीब पांच सौ वर्ग किमी के दायरे में फैले इस दुधवा नेशनल पार्क में औषधीय और जड़ी-बूटी के गुणों वाले पेड़-पौधे भी मौजूद हैं। अब तक की जानकारी में इस पार्क की बस इतनी ही जानकारी भर सामने आई थी। मगर हाल में ही पार्क से एक अद्भुत पेड़ निकलकर बाहर आ गया है।
कर्तनिया घाट वन रेंज में सड़क किनारे अचानक कुछ पेड़ नजर आने लगे। यह कौन से पेड़ हैं इसको लेकर किसी के पास जानकारी नहीं थी। जब स्थानीय लोगों ने इसकी प्रजाति के बारे में पता लगाने की कोशिश की तो जो हुआ वह और भी चौकाने वाला था। मौसम शांत था। हवा भी नहीं चल रही थी। जैसे ही किसी ने इस पेड़ को सहलाया तो इसकी पत्तियां और डालियां हिलने लगीं। एक बार हुआ। दूसरी बार हुआ और फिर बार-बार होने लगे। यह बात क्षेत्र में फैली तो लोग पुष्टि के लिए पहुंचने लगे। पेड़ के गुदगुदी लगने पर हंसने की वजह से इसका नाम ‘गुदगुदीÓ ही रख दिया गया।
जंगल के बाहर कैसे उगा पेड़
गुदगुदी लगने से हंसने वाला यह पेड़ जंगल से बाहर कैसे निकला इसको लेकर कोई खास जानकारी तो नहीं है। पर विज्ञान विशेषज्ञ इसे लेकर प्रमाणिक बात कहते हैं। उन्होंने कहा कि पौधों की प्रजातियों का फैलना परागण विधि की देन है। हवा द्वारा, पक्षियों द्वारा, जंगल से वन सम्पदा बाहर लाते समय कई बार वृक्षों के बीज बाहर आ जाते हैं। यह बीज अंकुरित होकर फूटते हैं और इसमें से पौधा बाहर निकल आता है। यह वृक्ष भी परागण की ही किसी विधि के जरिए बाहर आया है।
नहीं पता चले गुण
अभी तक इस वृक्ष की ‘सेंसिटिविटीÓ ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। पर इस वृक्ष में कोई औषधीय गुण है या नहीं इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं चल सका। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस पेड़ के गुणों को बाहर निकालने के लिए अभी तक रिसर्च नहीं की है। लोगों ने कहा कि इसकी विशेषता देख लगता है मानों इसके भीतर तमाम और गुण मौजूद हैं।
ब्रह्मराक्षस या देवताओं का है वास
एक ओर जहां यह वृक्ष अपने खिलखिलाने के गुण से स्थानीय लोगों को प्रभावित किए है तो कई लोगों में इसे लेकर दहशत का माहौल है। कुछ लोगों ने कहा कि यह पेड़ हंसता नहीं बल्कि इस पर ब्रह्मराक्षस, भूत या चुड़ैलों का साया है। जब लोग इस वृक्ष पर हाथ लगाते हैं तो इस पर वास करने वाले भूत पे्रत उन्हें भगाने के लिए टहनियां और पत्तियां हिलाने लगते हैं। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि इस वृक्ष पर देवताओं का वास है। तना उनके चरण के समान है। इसलिए लोग जब इसे सहलाते हैं तो वृक्ष पर मौजूद देवता आशीर्वाद देने के लिए पत्तियां और टहनियां हिलाते हैं।