दमा से पीड़ित लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन का पता लगाया है, जो दमा रोग के लिए जिम्मेदार है और उसे निष्क्रिय कर फेफड़े की इस गंभीर बीमारी को रोका जा सकता है। एक शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एडीएएम33 जीन के प्रभाव का विश्लेषण किया, जो दमा के विकास से जुड़ा है।
एडीएएम33 एक एंजाइम बनाता है, जो एयरवे मांसपेशियों की कोशिकाओं से जुड़ता है। जब एंजाइम कोशिका की सतह से अलग होता है, तब यह फेफड़े के चारों ओर जमा हो जाता है, जिसके कारण दमा से पीड़ित लोगों के फेफड़े की कार्यशैली प्रभावित होती है।
खोज में यह बात सामने आई कि एडीएएम33 जीन को निष्क्रिय कर देने से संक्रमण कम हो सकता है।
शोध के प्रमुख ब्रिटेन के साउथहैम्पटन विश्वविद्यालय के हेंस माइकल हियाची ने कहा, “हमारे अध्ययन ने इस आम धारणा को चुनौती दी है, जिसके मुताबिक दमा में सूजन के कारण एयरवे रिमॉडलिंग होता है। जबकि हमने पाया है कि मनुष्य में एडीएएम33 जीन एयरवे रिमॉडलिंग की शुरुआत करता है। इसकी वजह से एलर्जी और संक्रमण होता है।
पत्रिका ‘क्लीनिकल इन्वेस्टीगेशन इनसाइट (जेसीआई)’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, एडीएएम33 के कारण होने वाली प्रक्रिया को रोकने से एलर्जिक दमा के विकास और उसके हानिकारक प्रभाव को रोका जा सकता है।