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इंटरनेशनल इनकमिंग कॉल पर घटा टर्मिनेशन शुल्क

ट्राई ने पहली फरवरी से विदेशी इनकमिंग कॉल पर इंटरनेशनल टर्मिनेशन शुल्क को 53 पैसे से घटाकर 30 पैसे प्रति मिनट करने का फैसला किया है। इस कदम से जहां फर्जी आइएसडी कॉल करके अवैध कमाई के साथ देश की सुरक्षा में सेंध लगाने वाली गैरकानूनी एजेंसियों पर अंकुश लगेगा। वहीं प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को राजस्व की हानि उठानी पड़ेगी।

टेलीकॉम कंपनियां ग्राहकों तक कॉल पहुंचाने के लिए उन विदेशी आपरेटरों से इंटरनेशनल टर्मिनेशन चार्ज (आइटीसी)वसूलती हैं जिनके नेटवर्क से कॉल आई है। इससे पहले ट्राई विदेशी इनकमिंग कॉल के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां चलाने वाली एजेंसियों पर अंकुश लगाने की जरूरत बता चुका है। एक बैकग्राउंड नोट में उसने कहा था कि कुछ एजेंसियां इंटरनेट पर गैरकानूनी वीओआइपी (वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) के माध्यम से भारतीय ग्राहकों को आइएसडी कॉल सेवा दे रही हैं और अवैध मुनाफा कमा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। इससे सरकार व टेलीकॉम कंपनियों को राजस्व की हानि के अलावा सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा होता है। इंटरनेशनल वॉइस कॉल्स के रूट पर इस अतिरिक्त बोझ के कई अन्य नुकसान भी हैं।

वैसे इस फैसले से तीन प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया तथा आइडिया सेल्युलर को झटका लगना तय है क्योंकि ज्यादातर इंटरनेशनल कॉल इन्हीं के नेटवर्क पर आती हैं। टर्मिनेशन दर घटने से इनकी कमाई घट जाएगी। यही वजह है कि सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआइ) ने इस फैसले का विरोध करते हुए सरकार व ट्राई से इस पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है। सीओएआइ के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने बयान में कहा, “आइटीसी में कमी देश हित के विरुद्ध है। इससे देश को कीमती विदेशी मुद्रा और टेलीकॉम उद्योग को सालाना 2000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।”

सीओएआइ पहले भी अपना विरोध जता चुकी है। ट्राई को सौंपे ज्ञापन में उसने कहा था कि हर साल जहां भारत से विदेश को लगभग 4.5 अरब कॉल ही की जाती हैं। वहीं विदेशों से भारत की जाने वाली कॉल्स की संख्या 88 अरब से ज्यादा है। भारत से आने वाली कॉल्स पर अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में क्रमशः 67 पैसे, 13.36 रुपये और 10.69 रुपये प्रति मिनट का टर्मिनेशन शुल्क वसूला जाता है। जबकि भारत में विदेशों से आने वाली कॉल्स पर केवल 53 पैसे शुल्क है। इसे और घटाने से भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान और विदेशी कंपनियों को फायदा होगा।