इंटरनेट की दुनिया से अच्छी खबर है कि चार बड़ी नेटवर्किंग कंपनियों ने मिलकर सोशल मीडिया से आतंक संबंधी हर सामग्री हटाने का निश्चय किया है। फेसबुक, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल की योजना के मुताबिक अब सभी कंपनियां आपस में शेयर डाटाबेस बनाएंगी और ऐसे खातों के डिजिटल फिंगरप्रिंट ट्रैक करेंगी जो आतंकी नेटवर्क की मदद के लिए सामग्री शेयर करते हैं तथा बाद में उसे आसानी से मिटा देते हैं।
इन कंपनियों ने घोषणा की है कि वे आपस में मिलकर वेब पर तकनीकी व सूचनाओं की शेयरिंग द्वारा आतंकी सामग्री के प्रसार को कम करेंगे। उदाहरण के तौर पर कंपनियों का प्रयास होगा कि शेयरिंग डाटाबेस द्वारा ट्विटर पर पोस्ट हुआ वीडियो बाद में फेसबुक पर दिखाई न दे और सामग्री का प्रसार तुरंत रोक दिया जाए। गूगल भी अब यू-ट्यूब का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में नहीं होने देगा।
इस पूरे सहयोगात्मक रवैये में उनके यूजर की प्राइवेसी, स्वतंत्रता व सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। ऑनलाइन आतंकी सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए यह पूरी कवायद मानवाधिकारों के सम्मान में की जा रही है। पिछले एक साल में इन कंपनियों ने गहराई के साथ जब सामग्री की छंटाई की तो पाया कि किस तरह सार्वजनिक हत्याकांड के बाद आईएस व अन्य आतंकी संगठन अपने संदेश का प्रसार करते हैं तथा सहयोगियों को नियुक्त करते हैं। कंपनियों ने पाया कि आतंकियों के खाते जितनी तेजी से बनते हैं उतनी ही तेजी से उन्हें डिलीट कर दिया जाता है।
इस पूरे सहयोगात्मक रवैये में उनके यूजर की प्राइवेसी, स्वतंत्रता व सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। ऑनलाइन आतंकी सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए यह पूरी कवायद मानवाधिकारों के सम्मान में की जा रही है। पिछले एक साल में इन कंपनियों ने गहराई के साथ जब सामग्री की छंटाई की तो पाया कि किस तरह सार्वजनिक हत्याकांड के बाद आईएस व अन्य आतंकी संगठन अपने संदेश का प्रसार करते हैं तथा सहयोगियों को नियुक्त करते हैं। कंपनियों ने पाया कि आतंकियों के खाते जितनी तेजी से बनते हैं उतनी ही तेजी से उन्हें डिलीट कर दिया जाता है।