लखनऊ: यूपी शिया वक्फ बोर्ड ने भगवान राम की प्रस्तावित 100 मीटर ऊंची भव्य प्रतिमा के लिए चांदी के 10 तीर उपहार के रूप में भेंट करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा है. बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि कुछ सदस्यों ने यह प्रस्ताव दिया था कि वक्फ बोर्ड के माध्यम से ये तीर भेजे जाने चाहिए. रिजवी ने योगी आदित्यनाथ को लिखे खत में कहा है कि ये तीर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतिनिधित्व करेंगे. रिजवी ने कहा, ”जिस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने बुराई के खिलाफ संघर्ष किया और अपने तीरों से राक्षण का दहन किया, इसी तरह हम चाहते हैं कि ये तीर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के प्रतीक के रूप में दिखे ताकि देश में सभी धर्मों के लोग शांति के साथ रह सकें.”
रिजवी ने कहा, ”इस क्षेत्र के नवाबों ने हमेशा अयोध्या के मंदिरों का सम्मान किया. यहां तक कि 1739 में नवाब शुजा-उद-दौला ने अयोध्या के मध्य में हनुमान गढ़ी के लिए जमीन दान में दी थी. उसके बाद नवाज आसिफ-उद-दौला ने 1775-1793 के बीच हनुमान गढ़ी मंदिर बनाने के लिए फंड दान में दिया था.” इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की वकालत कर चुका है. उसका कहना है कि विवादित जमीन मूल रूप से सुन्नियों की नहीं बल्कि शियाओं की थी.
उल्लेखनीय है कि राज्य की बीजेपी सरकार ने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे 100 मीटर ऊंची भगवान राम की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की योजना बनाई है. इस आशय का प्रस्ताव राज्यपाल राम नाईक के पास भेजा गया है. अपने प्लान ‘नव्य अयोध्या’ के तहत सरकार ये योजना बना रही है. धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के मकसद से पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव को राज्यपाल राम नाईक के पास भेजा गया है. सरकार के इस प्रस्ताव में प्रतिमा की ऊंचाई 100 मीटर रखने की बात कही गई है लेकिन कई अधिकारियों के मुताबिक यह अभी अंतिम नहीं है. पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने इस आशय का प्रजेंटेशन पिछले दिनोंं दिया है.
इस प्रजेंटेशन में अयोध्या में 18 अक्टूबर को दीवाली उत्सव मनाए जाने के सरकार के कार्यक्रम का ब्योरा भी दिया गया है. इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पर्यटन मंत्री केजे अल्फोंस और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा उपस्थित रहेंगे. प्रेस रिलीज में यह बताया गया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति के बाद इस प्रतिमा को सरयूघाट पर स्थापित किया जाएगा. हालांकि इस संबंध में सरकार का कहना है कि अभी यह महज ‘संकल्पना प्रस्ताव’ है और इस आशय का एनजीटी को पत्र अभी भेजा जाना है.