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अभी-अभी: योगी राज में ‘यादवलैंड’ की परियोजनाओं पर लगी रोक

मध्य यूपी में यादव लैंड के नाम से मशहूर 4 जिलों की 13 विधानसभा सीटों वाला ये इलाका अखिलेश यादव के राज में खूब चर्चाओं में रहा। वो इसलिए क्योंकि यहां उस दौरान तेजी से कई खास परियोजनाएं बनीं और उन पर काम शुरू हो गया। लेकिन जब से सत्ता सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई है तब से ‘यादवलैंड’ के नाम से मशहूर इन छह जिलों की परियोजनाओं पर ब्रेक लग गया है। 
इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह क्षेत्र इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद व कन्नौज आदि जिले आते हैं। यहां सत्ता बदलने का असर साफ दिख रहा है। इस इलाके की ज्यादातर परियोजनाओं पर ब्रेक लग गया है। कन्नौज परफ्यूम पार्क हो या फर्रुखाबाद का टेक्सटाइल पार्क अथवा औरैया में प्लास्टिक सिटी सभी के काम बंद हैं। करोड़ों की लागत वाली इन योजनाओं में आधे से अधिक धन खर्च हो चुका है लेकिन दूसरी किस्त पर ब्रेक लग गया। ऐसे में काम में लगे मजदूर घरों को लौट गए हैं तो ठेकेदार अफसरों से लेकर नेताओं तक के चक्कर काट रहे हैं। पेश है जिलेवार परियोजनाओं की पड़ताल करती रिपोर्ट…

सैफई में धन के आवंटन में देरी से अधूरा पर्यटन कांपलेक्स
पर्यटन कांपलेक्स पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य है कि सफारी पार्क के बाद यहां आने वाले पर्यटकों एवं सैफई आने वाले खिलाड़ियों को ठहरने की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध कराना। इसमें 10 बेड वाले 30 कमरे, 20 सिंगल रूम स्यूट एवं 30 डबल रूम स्यूट बनने हैं। तीन मंजिला इस इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर रेस्टोरेंट की व्यवस्था होनी है। 29 करोड़ की इस परियोजना का शुभारंभ सितंबर 2015 में हुआ।  20 करोड़ से कार्य शुरू हुआ,लेकिन सरकार ब दलने के बाद बाकी नौ करोड़ अटक गए। इसेअक्तूबर 2017 में पूरा होना था, लेकिन इसकी उम्मीद नहींहै

सैफई में आधी अधूरी पड़ी सीवर लाइन

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पैतृक गांव सैफई में सीवर लाइन की परियोजना भी महत्वपूर्ण है। पूरे सैफई क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ा जाना था। इस योजना की लागत 107 करोड़ है। जिसमें से 40 करोड़ अवमुक्त हुए थे। इससे खुदाई का कार्य हुआ। साथ ही बड़े बड़े पाइप भी आ गए। मगर प्रदेश में निजाम बदलने के साथ ही इस परियोजना पर भी ग्रहण लग गया। अब बाकी धनराशि सरकार से मिल नहीं रही। लिहाजा कार्य ठप है। इसे जुलाई 2017 में पूरा होना था।
औरैया की प्लास्टिक सिटी का हाल
एक दशक पहले यूपीएसआईडीसी ने सात गांव की 350 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया। इस पर 20 करोड़ की लागत से सड़क, बिजली आदि का काम शुरू हुआ। 2012 में बनी अखिलेश सरकार ने इस अधिग्रहित जमीन पर प्लास्टिक सिटी बसाने का सपना देखा। इसे ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया। लेकिन किसानों और यूपीएसआईडीसी के बीच चल रही मुआवजे की लड़ाई में परियोजना फंसी रहीं। सरकार बदलने के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है। 

ठंडे बस्ते में कन्नौज का परफ्यूम पार्क 

अखिलेश सरकार के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट परफ्यूम पार्क योगी सरकार में ठंडे बस्ते में चला गया है। इस परियोजना के लिए ठठिया के पैथाना, बलनापुर,अलीपुर अटावा गांव के किसानों की 30 एक़ड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। परफ्यूम पार्क को फ्रंास के ग्रासे शहर की तर्ज पर विकसित किया जाना था। 25727 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट को योगी सरकार ने समीक्षा में डाल दिया है।

विधि विज्ञान प्रयोगशाला
राष्ट्रीय स्तर की मॉडल विधि विज्ञान प्रयोगशाला का शिलान्यास 22 सितंबर 2016 को हुआ था। इसे 18 माह में बनकर तैयार होना था। 8030.94 लाख रुपये की लागत से बन रही इस प्रयोगशाला को अभी तक मात्र 8 करोड़ रुपये अवमुक्त हुए है। तीन माह से पैसा न मिलने पर काम ठप है। मजदूर घरों को लौट गए है।  निर्माण इकाई कोम्ट कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर हाशिमी का कहना है कि सितंबर 2016 में काम शुरू  किया गया है। जो बजट मिला है। उसमे जी समेत तीन मंजिल तक का काम हुआ है। गेस्टहाउस पर काम होना है। तीन माह से बजट न मिलने पर काम बंद है।

फर्रुखाबाद में समय पूरा, ढाई घाट पर गंगा पुल अधूरा

वर्ष 2012 में सत्ता मिलने के बाद अखिलेश यादव ने जिले के विकास खंड शमशाबाद में फर्रुखाबाद से जलालाबाद होते हुए बंदायू जाने वाले मार्ग के ढाई घाट पर पक्का पुल बनवाने की घोषणा की। 45 करोड़ 10 लाख रुपये लागत से स्वीकृत पुल बनाने के लिए 42 करोड़ 84 लाख रुपये का बजट दिया। जून 2017 में पुल बनकर तैयार होना था पर ऐसा नहीं हो सका। सरकार बदलते ही कार्यदाई संस्था सेतु निगम सुस्त पड़ गया है। काम की रफ्तार धीमी हो गई।
 
 

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