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अब 42 की उम्र पार करने वाले नहीं बन सकेंगे टीचर

given-training-to-teachers-for-making-interesting-of-teaching-methodology_1474832552उत्तराखंड के अशासकीय स्कूलों में 42 की उम्र पार वाले अब टीचर नहीं बन सकेंगे। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद विनियम में संशोधन कर समस्त विद्यालयों के टीचरों के लिए न्यूनतम एवं अधिकतम आयु सीमा, न्यूनतम शैक्षिक और प्रशिक्षण अर्हताओं को सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर कर दिया गया है। जूनियर हाईस्कूलों में 15 साल का शिक्षण अनुभव वाले भी अब इंटरमीडिएट कॉलेजों में प्रिंसिपल बन सकेंगे। वहीं विधान सभा चुनाव से पहले अशासकीय बेसिक स्कूलों के टीचरों के तबादलों के लिए रास्ता खोल दिया गया है।

अपर मुख्य सचिव डॉ. रनवीर सिंह ने इस संबंध में पांच दिसंबर 2016 को शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश के मुताबिक प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में टीचर बनने के लिए अब तक टीचरों की न्यूनतम आयु सीमा तो निर्धारित थी, लेकिन अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं थी। जिसे संशोधित कर अब सरकारी स्कूलों की तर्ज पर कर दिया गया है।

वहीं इंटरमीडिएट कालेज में प्रिंसिपल के लिए पीजी की डिग्री के साथ ही इंटरमीडिएट कक्षाओं में दो साल का शिक्षण अनुभव व जूनियर हाईस्कूल, हाईस्कूल में न्यूनतम 15 साल के शिक्षण अनुभव की योग्यता रखी गई है। इसी तरह जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक का पद रिक्त होने पर संस्था में ज्येष्ठतम अर्ह अध्यापक जिसे कम से कम दस साल का अनुभव हो उसे प्रमोशन देकर इस पद को भरा जा सकेगा। वहीं अब बेसिक के अशासकीय विद्यालयों के टीचर भी तबादला पा सकेंगे। इसके लिए मंडलीय अपर शिक्षा निदेशक बेसिक, मुख्य शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक की तीन सदस्यीय समिति आदेश जारी कर सकेगी।

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