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अब जो हुआ सो हुआ, वैसे भी मैं चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थी: स्टोक्स

ठियोग विस क्षेत्र से पर्चा रद्द होने के बाद कांग्रेस सरकार की वरिष्‍ठ मंत्री विद्या स्टोक्स अपने घर पर आराम कर रही हैं। नवबहार में देवदार और बुरांस के जंगल के बीच भूमिया एस्टेट में उनके घर पर सन्‍नाटा छाया हुआ है।
बाहर से घंटी बजाने पर भीतर से मैडम के विश्वासपात्र नीलू और प्रकाश ठाकुर बाहर आए। कहा- मैडम आराम फरमा रही हैं, बात शायद ही करेंगी।

अमर उजाला के प्रतिनिधि को अपने घर में आने की सूचना पाने के बाद स्टोक्स बातचीत के लिए तैयार हो गईं। पूरी बातचीत के दौरान उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं रही। पेश हैं वरिष्ठ संवाददाता सुरेश शांडिल्य से बातचीत के अंश-

सवाल : आपके राजनीतिक जीवन में ये क्या मोड़ आ गया? 
जवाब : मैं इस चुनाव को लड़ने के लिए वैसे भी तैयार नहीं थी। पर हालात ही ऐसे बने। कल सुबह ही मुझे पार्टी आलाकमान, कांग्रेस अध्यक्ष सुक्खू, सीएम ने अनुरोध किया कि हमारे लिए हर सीट बहुमूल्य है और मुझको नामांकन भरना होगा। इसके बाद जो हुआ, सामने हैं। 
सवाल : नामांकन रद्द होने पर क्या कहती हैं?  
जवाब : कल सुबह प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू ने कहा कि दीपक राठौर अपना नामांकन नहीं भरेंगे। वह अपना नामांकन कवरिंग कंडीडेट भरेगा। उसके बाद मैंने भी दीपक से बात की। मैं इसी विश्वास के बाद ठियोग नामांकन भरने गई। दीपक राठौर पहले ही नामांकन भर चुके थे। फिर कवरिंग कंडीडेट इसलिए नहीं दिया।
सवाल : गलती कहां रही? 
जवाब : पेपर भरने में कोई कमी नहीं रखी। पार्टी के टिकट दोनों के पास थे। जो पहले नामांकन भरता है, उसी का नियमानुसार मान्य होता है। इसलिए ऐसा हुआ।

सवाल : क्या कहीं कोई अपील या शिकायत भी करेंगी? 
जवाब : नहीं, अब जो हुआ सो हुआ। मैं ठियोग में कांग्रेस के सभी गुटों से एकजुट होने की अपील करती हूं। इसी में भलाई है। 
सवाल : क्या दीपक राठौर के लिए प्रचार करेंगी? 
जवाब : दीपक राठौर ने बेशक जल्दबाजी कर की हो। मैं उसके खिलाफ थोड़ी हूं। उसे इलेक्टोरल पालिटिक्स का अनुभव नहीं है। संगठन का बेशक हो। इसलिए दूसरे प्रत्याशी की बात की। अब जो हुआ, उसका बहुतों को दुख है। अब दुख मनाने से कुछ नहीं होगा। ठियोग के कांग्रेसी मेरी इज्जत करते हैं तो एक हो जाएं। 

सवाल : ठियोग में वीरभद्र सिंह को ले जाने के लिए आपके मन में क्या था? 
जवाब : मुझे मालूम था कि ठियोग मेें कांग्रेस के कई गुट उभर चुके हैं। जो घातक हो सकते थे। एकजुटता के लिए ये जरूरी था।
सवाल : एक चर्चा ये भी है कि आप अपने पुराने राजनीतिक विरोधी को मात देने के लिए सीएम को ले जाने का प्रयोग कर रही थीं, जो कभी वीरभद्र के भी करीबी रहे हैं?  
जवाब : ऐसा क्यों लग रहा है। मैंने कभी भी द्वेष की राजनीति नहीं की। मेरे मन में एक ही बात थी। मैं ठियोग की जनता को मुख्यमंत्री देना चाहती थी। 

सवाल : क्या वीरभद्र, विक्रमादित्य और अन्य सभी की सीटों पर भी प्रचार के लिए समय निकालेंगी? 
जवाब : जहां-जहां मेरी जरूरत होगी, वहां-वहां जाऊंगी। 
सवाल : और क्या कहना चाहती हैं? 
जवाब : एक बात जोड़ना चाहती हूं कि सोशल मीडिया में मेरे बारे में पिछले दिनों कई उल्टी-पुल्टी बातें होती रहीं। राजनीति का स्तर इतना भी नहीं गिरना चाहिए। अब नामांकन रद्द होने के बाद भी अगर ऐसा हो रहा है तो ये सही नहीं है। मुझे ताजा घटनाक्रम का पहले दुख जरूर हुआ। अब जो हुआ सो हुआ। मैं कांग्रेस की सच्ची सिपाही हूं। जो ठीक होगा, वही करूंगी।