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अपने गढ़ में हार से तिलमिलाए सदर विधायक ने मुझ पर दर्ज कराया फर्जी मुकदमा: मोहन बाजपेई

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी।
निकाय चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों की नोकझोंक भी सामने आने लगी है। फेसबुक टिप्पणी को लेकर दो कार्यकर्ताओं के बीच शुरू हुई लड़ाई अब दो पार्टियों की लड़ाई बन गई है। यह मामला बीती 2 दिसंबर का है जब आपसी लड़ाई के बाद बसपा प्रत्याशी के समर्थन पर 307 का मुकदमा सत्ता पक्ष के द्वारा दर्ज करा दिया गया। जिसे लेकर बसपा नेता मोहन बाजपेई ने आज एक प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने सदर विधायक पर मामले को अनावश्यक तुल देने का आरोप लगाया। साथ ही यह भी कहा कि अपने गढ़ से हारने की वजह से सदर विधायक बौखला गए हैं।

आपको बता दें कि 1 दिसंबर को मतगणना के परिणाम आएं और भाजपा प्रत्याशी निरुपमा मोनी बाजपेई नगर पालिका अध्यक्ष बन गई। दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी रामा मोहन बाजपेई रही। कड़ी टक्कर के बीच आए चुनाव परिणाम ने दोनों ही प्रत्याशियों और उनके समर्थकों में खासा असमंजस बनाए रखा। ऐसे में चुनाव खत्म होने के बाद गतिरोध सामने आना भी शायद लाजमी था और वैसा ही हुआ। जीत हार की कहानी के साथ कौन किसके साथ खड़ा था इस बात को लेकर जब सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर कमेंट होने लगे तो विवाद होना भी लाजमी था। वैसा ही हुआ। मोहन समर्थक रामजी मिश्रा द्वारा जब पूर्व सभासद की पार्टी भक्ति पर कमेंट किया गया तो उसका जवाब उन्हें गाली से मिला। विवाद बढ़ा तो दोनों आमने सामने आ गए। मामला निपटाने के लिए मोहन बाजपेई को बुलाया गया। क्योंकि यह दो सजातीय लोगों की लड़ाई थी। लडाई शांत भी हो गई परंतु इसे अनावश्यक हवा दी गई यह आरोप मोहन बाजपेई ने लगाया और यह भी कहा सदर विधायक अपने ही गढ़ से BJP को नहीं जीता पाए। इसी बात की उन्हें खुन्नस थी। न ही गोली चली और न ही मेरे समर्थक द्वारा कोई अनावश्यक टिप्पणी की गई लेकिन विधायक जी ने अपने निजी स्वार्थ के लिए पूर्व सभासद रामनगर अनूप शुक्ला व उसके भाई पंकज शुक्ला से तहरीर में जबरदस्ती मेरा नाम बढ़वाया और रामजी मिश्रा को फंसाया। उन्होंने यह भी बताया कि भाजापा नेता अनुपम अवस्थी उस घटना के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह घटना के समय जुलूस-ए-मोहम्मदी में शामिल थे। अब घटना के बाद विधायक योगेश वर्मा के इशारे पर उनके गुर्गे रामजी मिश्रा व उसके परिवार को परेशान कर रहे हैं। उन्होंने बीती रात भी रामजी मिश्रा के घर पत्थरबाजी की और असलहे लहराए। उन्होंने अपने व अपने परिवार सहित अपने समर्थकों पर जानलेवा हमले का शक जाहिर कर सदर विधायक को इसका दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो उसके जिम्मेदार सदर विधायक होंगे। खुल मिलाकर निकाय चुनाव के बाद राजनीति का नया अध्याय शुरू हुआ है। जिसे लेकर दोनों ही पक्ष खुलकर एक दूसरे के आमने-सामने खड़े हो गए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस और प्रशासन कि ऐसे मामलों में क्या भूमिका रहती है।

बड़े साहब झूठे हैं सदर कोतवाल

शासन का दबाव है य सदर कोतवाल की मनमानी? कि वे पत्रकारों से झूठ बोलने लगे हैं। मामले में मोहन बाजपेई पर धारा 307 में मुकदमा दर्ज होने के सवाल पर लगातार कोतवाल सदर आलोक पांडे झूठ बोल रहे हैं और वह हर बार पत्रकारों से फोन पर यह कहते हैं कि मोहन बाजपेई कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। जबकि सरकारी अभिलेख में 2 तारीख को ही रामजी मिश्रा व मोहन बाजपेई सहित अन्य पर 307 व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है ऐसी क्या मजबूरी है जो सदर कोतवाल झूठ बोलने पर आमादा है।