Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

बहनजी को है पूरा विश्‍वास, एक बार फिर मिलेगा उन्‍हें यूपी का सिंहासन

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के लिए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को वाराणसी में आखिरी रैली की थी। उनकी इस रैली के साथ ही उनकी पार्टी का चुनाव प्रचार अभियान समाप्‍त हो गया। मायावती अब लखनऊ में अपने बंगले में आराम से बाकी पार्टियों की मशक्‍कत देख रही हैं।

mayawatiउन्‍होंने पिछले एक महीने में राज्‍य में कुल 58 बड़ी रैलियां कीं, जिसकी तैयारी उन्‍होंने शायद 2014 में ही पूरी कर ली थी। लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी खाता नहीं खोल सकी थी। लेकिन इस बार मायावती विश्‍वास से लबरेज़ हैं और कह चुकी हैं कि झमाझम वोट पड़ रहे हैं।

बसपा ने चुनावी तैयारियां अन्‍य पार्टियों के मुकाबले काफी पहले शुरू कर दी थीं। यही वजह है कि 4 मार्च के बाद उनकी कोई रैली नहीं है, जबकि भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस प्रचार के आखिरी दिन तक मैदान में डटी हुई हैं।

हालांकि चुनावी समर से पहले बसपा के 12 विधायकों ने बागी तेवर अपनाते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। मायावती ने इसका भी फायदा उठाया और समाजवादी पार्टी के दिग्‍गज नेता अंबिका चौधरी, नारद राय और विजय मिश्रा को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। साथ ही उन्‍होंने मुख्‍तार अंसारी के कौमी एकता दल को भी बसपा में शामिल कर लिया।

चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने एक फरवरी को मेरठ व अलीगढ़ में चुनावी सभाओं की शुरुआत की थी। उन्होंने आखिरी सभा शनिवार को वाराणसी के रोहनिया में की। वाराणसी में आखिरी चरण में 8 मार्च को वोट पड़ेंगे। बसपा अकेली पार्टी है जो प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ रही है।

एक फरवरी से चार मार्च के बीच 32 दिनों में 53 चुनावी सभाओं के जरिए मायावती अपने सभी 403 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने पहुंचीं थीं। उन्होंने ज्यादातर दिनों में दो-दो सभाएं कीं।

कमजोर और दलित वर्गों के उत्थान का चेहरा बन चुकीं मायावती पहली बार बीएसपी के टिकट पर 1984 में कैराना से चुनावी अखाड़े में उतरी थीं। 1985 में उन्होंने बिजनौर और 1987 में हरिद्वार से चुनाव लड़ा था। 1989 में पहली बार उन्होंने बिजनौर से 8,879 मतों से लोकसभा चुनाव जीता और संसद पहुंचीं। 1994 में मायावती पहली बार राज्यसभा की सदस्य बनीं थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.