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ज्वेलरी कारोबारी के इस खुलासे से उड़ जाएंगे आपके होश

gold_2596620gलखनऊ। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने चारबाग स्टेशन से अवैध रूप से लाई गई तीस किलो चांदी पकड़ी है। यह चांदी आगरा से लाकर लखनऊ में बेची जा रही थी। रविवार सुबह 3:30 बजे आम्रपाली एक्सप्रेस से उतरते ही जीआरपी को शक हुआ और तलाशी ली तो उसके पास से तीस किलो चांदी मिली। जांच के दौरान वह कोई कागजात नहीं दिखा पाया। उधर सेल्स टैक्स टीम ने चांदी का मूल्य 7.80 लाख निकाला और 3.12 लाख का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया। अधिकारियों ने मुताबिक चालीस फीसद जुर्माना लगाया गया है।

जीआरपी इंस्पेक्टर सुशील कुमार सिंह ने बताया कि आम्रपाली एक्सप्रेस से सुबह मोहम्मद आरिफ रजा उतरा था, उसके कंधे पर बैग लटका हुआ था। शक होने पर जब जांच हुई तो चांदी निकली। रजा के मुताबिक वह आगरा से पहले अजमेर सियालदाह से कानपुर पहुंचा था। फिर लखनऊ के लिए आम्रपाली एक्सप्रेस पकड़ी थी। झब्बन की बगिया, नगरिया थाना ठाकुरगंज निवासी मोहम्मद आरिफ रजा के मुताबिक वह कटरा वफा बेग चौपटिया निवासी मोहम्मद समद सिद्दीकी के लिए काम करता है।

समद ने बताया कि वह लखनऊ की दुकानों में ही बने बनाए चांदी के जेवर सप्लाई करता है। यह काम पिछले कई दशक से कर रहा है। उधर, चांदी पकड़ने वाली टीम में इंस्पेक्टर जीआरपी सुशील कुमार सिंह, उपनिरीक्षक अजीत कुमार शुक्ला, जुल्फिकार, संतोष यादव, संतोष राय कांस्टेबल सुभाष सिंह, रमेश व सूरज सिंह रहे।

जांच के दौरान पता चला कि तीस किलो चांदी में सिर्फ 54 फीसद चांदी है और बाकी गिलट, जिंक व अन्य सामग्री मिली हुई है। इसे ग्राहकों को पूरे दाम में बेची जानी थी। चौक से इस चांदी को अमीनाबाद, आलमबाग, सरोजनी नगर, गोमतीनगर, इंदिरा नगर, महानगर सहित अलग अलग सर्राफ के यहां सप्लाई की जाती थी।

चौक निवासी व्यापारी मोहम्मद समद सिद्दीकी ने स्वीकार किया कि हर माह तीन से चार बार वह आगरा सर्राफ बाजार से चांदी मंगाते हैं। कभी अवैध रूप से तो कभी वैध रूप से यह चांदी लखनऊ आती है। समद वहां से चांदी के गहने मंगवाते हैं और लखनऊ में सप्लाई करते हैं।

सवाल खड़ा होता है कि इससे पहले तैनात रहे प्रभारियों ने चांदी की तस्करी करने वालों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा। पूछताछ में मोहम्मद आरिफ रजा ने स्वीकार किया कि वह पेशे से जरदोजी का काम करता है, लेकिन हर माह दो तीन चक्कर आगरा के लगा लेता है। इसके एवज में व्यापारी उसे बढ़िया मेहनताना देते हैं। यह हैरत की बात है कि पिछले कई सालों से इस काम में लगा रजा पहली बार फंसा है।

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