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जगन्नाथ यात्रा 2018: जानिए, क्यों बीमार हुए भगवान जगन्नाथ, कब तक होंगे ठीक?

क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहर भगवान खुद भी कभी बीमार पड़ जाते हैं, सुनकर भले ही अजीब लगे लेकिन इस संसार में भगवान भी बीमार हो जाते है. जी हां, यहां बात ही रही हो उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ की, जो काफी दिनों से बीमार चल रहे है.

पौराणिक कथा के अनुसार

पुराणों में इस बात का जिक्र है कि राजा इंद्रदुयम्न अपने राज्य में भगवान की प्रतिमा बनवा रहे थे, जिसे शिल्पकार बीच में ही अधूरा छोड़कर चले गये थे. यह देखकर राजा परेशान होकर चिल्लाने लगे और तभी उन्हें भगवान ने दर्शन देकर कहा, ‘विलाप न करो मैंने नारद को वचन दिया था कि बालरूप में इसी आकार में पृथ्वीलोक पर विराजूंगा.’

ठंडे पानी से नहलाने की वजह से बीमार

भगवान ने राजा इंद्रदुयम्न को 108 घट के जल से उनका अभिषेक करने का आदेश दिया. उस वक्त ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा थी. बस तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि किसी बच्चे को अगर ठंडे पानी से स्नान कराया जाएगा तो उसका बीमार पड़ना स्वाभाविक है. इसलिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक बीमार बच्चे के रूप में भक्त भगवान की सेवा करते हैं. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है.

15 दिन भगवान रहते हैं बीमार

भगवान के बीमार होने की वजह से 15 दिनों तक मंदिर में कोई घंटे आदि नहीं बजते. इस दौरान अन्न का भी कोई भोग नहीं लगाया जाता. प्रसाद के रूप में आयुर्वेदिक काढ़ा अर्पित किया जाता है. यहां तक की मंदिर में भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं. काढ़े के अलावा भगवान को फलों का रस भी दिया जाता है.