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GST : नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से होगा गरीब राज्यों को फायदा

02_07_2017-poor-indianनई दिल्ली । देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) गरीब और अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को भी फायदा पहुंचाएगा। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा जैसे राज्यों को आने वाले समय में इसका बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।

शनिवार से देश में जीएसटी लागू होने के बाद अब अप्रत्यक्ष कर की व्यवस्था बदल गई है। उपभोग आधारित कर व्यवस्था होने के चलते जीएसटी में उन राज्यों को ज्यादा राजस्व मिलेगा जहां जनसंख्या अधिक है। वित्त मंत्रलय में आर्थिक कार्य विभाग के सचिव रहे शक्तिकांत दास ने कहा कि अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में माल की खपत अधिक होगी। प्रत्येक सामान और सेवा पर कर का भुगतान अंतिम उपभोग वाली जगह पर ही होगा। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य राजस्व के लिहाज से लाभ की स्थिति में रहेंगे।

इससे पूर्व की कर व्यवस्था में उन राज्यों को ज्यादा राजस्व मिलता था जहां निर्माण या उत्पादन होता था।

मसलन जिस राज्य में किसी एक सामान का निर्माण होता है तो उत्पाद शुल्क का भुगतान फैक्टरी गेट पर ही हो जाता था। यानी परोक्ष शुल्क का एक बड़ा हिस्सा उस राज्य को मिलता था। लेकिन जीएसटी के तहत ऐसा नहीं है। हालांकि इस व्यवस्था को बनाते समय मैन्यूफैक्चरिंग राज्यों को होने वाले नुकसान को लेकर पहले राज्यों के वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमेटी और बाद में जीएसटी काउंसिल में काफी चर्चा हुई। इसके बाद ही तय हुआ कि मैन्यूफैक्चरिंग राज्यों को राजस्व में होने वाले इस नुकसान की भरपाई के लिए पहले पांच साल केंद्र मुआवजा देगा।

यद्पि दास कहते हैं कि जिन राज्यों में मैन्यूफैक्चरिंग हो रही है, वहां विकास का स्तर ऊंचा होने के चलते लोगों की क्रयशक्ति अधिक है। इसलिए आने वाले दिनों में इन राज्यों के राजस्व की भरपाई वहां खपत में वृद्धि से ही होने लगेगी। यही वजह है कि मुआवजे के लिए पांच साल की अवधि तय की गई है। 

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