प्रयागराज। स्मार्टफोन व मोबाइल फोन लोगों पर हावी होते जा रहे हैं। युवा ही नहीं, बल्कि बच्चों से लेकर बड़ों तक को इसकी लत लग चुकी है। दुनियाभर में हुए कई शोध से पता चलता है कि यदि कोई लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है, वह ‘नोमोफोबिया’ बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। समाज में मोबाइल की बढ़ती लत और इस बीमारी की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए प्रयागराज के मोतीलाल नेहरु मंडलीय अस्पताल में प्रदेश के पहले मोबाइल नशा मुक्ति केन्द्र की शुरुआत हुई है।
खास ओपीडी शुरू
मोबाइल की बच्चों और युवाओं में बढ़ती लत की समस्या को देखते हुए प्रयागराज के मोती लाल नेहरु मंडलीय अस्पताल में मोबाइल नशा मुक्ति केन्द्र की शुरुआत हुई है। जिसमें मोबाइल और इंटरनेट की लत छुड़ाने के लिए खास ओपीडी शुरू हुई है। इसमें मरीजों की काउंसिलिग के साथ उन्हें जरूरत पड़ने पर दवायें भी उपलब्ध कराई जायेंगी। इसके साथ ही कुछ खास थिरेपी व योग भी बताया जाएगा।
तीन दिन चलेगी ओपीडी
अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ कार्यक्रम के नोडल अफसर डॉ. राकेश पासवान की ओर से सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुकवार को ओपीडी चलेगी।
मोबाइल में गेम खेलने से बाज नहीं आ रहे बच्चे
मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग बच्चों से लेकर बड़े तक कर रहे है। हाल यह है कि अब चार से पांच साल तक के बच्चे भी मोबाइल में गेम व कार्टून देखे बिना नहीं रह पा रहे हैं। घरवालों के कहने पर भी बच्चे मोबाइल में गेम खेलने ले बाज नहीं आ रहे हैं।
मनोचिकित्सकों के मुताबिक, यह लत बच्चों के मानसिक विकास के लिए घातक साबित हो सकती है। वहीं, मोबाइल के आदी हो चुके लोग बड़े तेजी से डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे है। इस समस्या के समाधान के लिए ही काल्विन अस्पताल में सप्ताह में तीन दिन खास ओपीडी शुरू हुई है।