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स्कूल प्रताड़ना में हुई बेटे की मौत,न्याय नही मिला तो आरक्षी पिता ने लगाई इच्छा मृत्यु की गुहार

Lakhimpur/Dev Srivastava: जिस बेटे पर पिता की उम्मीदें कायम थीं। जिसका भविष्य आंखों में सपनों का संसार लिए था। अचानक उसकी खुदकुशी ने सबकुछ तबाह कर डाला। सरेआम स्कूल के फादर व पीटी टीचर की पिटाई ने उस मेधावी छात्र के मन में इतना गहरा प्रभाव डाला कि उसने खुदकुशी कर ली। इकलौते बेटे की मौत से पिता का सारा संसार उजड़ गया। परन्तु वो पिता कितना बेबस होगा जो खुद पुलिस में होने के बावजूद अपने मरहूम बेटे को न्याय न दिला सका।
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स्कूल में बेइज्जती से क्षुब्ध बेटे ने फांसी लगाकर की खुदकुशी

जिले में आरक्षी पद पर नियुक्त अमरनाथ यादव ने अपने बच्चे के साथ हुई ज्यातियों से वाकिफ कराते हुए बताया कि उनका बेटा ललित यादव लखनऊ के हजरतगंज स्थित कैथड्रिल स्कूल में कक्षा 12 का होनहार छात्र था। 3 दिसम्बर 2016 को स्कूल के फादर व पीटी टीचर ने बेटे को न केवल सबके सामने मारा-पीटा बल्कि उसे बेइज्जत भी किया। इस बेइज्जती से क्षुब्ध होकर उसके बेटे ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। तहरीर पर थाना मडिय़ांव में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस में नहीं हो रहीं सुनवाई

अमरनाथ यादव का आरोप है कि अपर पुलिस महानिदेशक कानून व व्यवस्था व पुलिस महानिदेशक के संरक्षण के कारण फादर व पीटी टीचर को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। इतना ही नहीं पुलिस महानिदेशक द्वारा मुकदमा वापस लेने व ऐसा न करने पर लगातार नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि विवेचक द्वारा मेरा अभी तक बयान नहीं लिया गया है।स्कूल प्रशासन को बचाने के लिए मनगढ़ंत बयान लिखा जा रहा है.

बचाया जा रहा स्कूल वालों को,पिता मांग रहा इच्छामृत्यु

लगातार पुलिस के उच्चाधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद भी मुझे अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों का असली चेहरा उजागर हो रहा है। पिता ने कहा कि बेटे को न्याय न दिला सका इससे बढ़कर उनके लिए निर्लज्ज होने वाली कोई बात नहीं होगी। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सर्वाेच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामले की निष्पक्ष जांच कर न्याय दिलाने व पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों से उत्पीडऩ हेतु बचाने की मांग की। साथ ही न्याय न मिलने पर उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दिए जाने की मांग की।

दूसरे ने तो नही की आत्महत्या,

 आरक्षी अमरनाथ ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि स्कूल का फादर कोई सड़क छाप आदमी नहीं जो उसके गिरफ्तार किया जाए। ललित के साथ एक और लड़के की पिटाई हुई थी लेकिन उसने आत्महत्या नहीं की। यही नहीं उन्होंने कहा कि ललित ने खुदकुशी से पहले कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा जिससे फादर को दोषी साबित किया जा सके। आरक्षी ने बताया कि पुलिस महानिदेशक की बात सुनकर वह अवाक रह गए।उन्होंने इन अटपटे सवालों का कारण पूछा तो उन्हें उल्टा ही डांट-डपट कर भगा दिया गया।

मामले को दिया जा रहा एक्सीडेंट का रूप

 पुलिस महानिदेशक की बातों से क्षुब्ध होकर उन्होंने अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था से स्कूल फुटेज हार्ड डिस्क की जांच कराकर गिरफ्तारी की मांग की। लेकिन स्कूल प्रशासन को बचाने के उद्देश्य से अलग से जांच कराकर मामले को एक्सीडेंट का रूप दिया जा रहा है। सारे साक्ष्य स्कूल के सीसीटीवी फुटेज में मौजूद हैं पर उन्हें लेने में कोई रुचि दिखाई नहीं जा रही।

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