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स्त्री-पुरुष की लड़ाई में सच-झूठ का फैसला

सिमरन फिल्म की रिलीज से पहले कंगना रनोट अधिकांश चैनलों और अखबारों में छाई हुई थीं। वह फिल्मों और एक्टिंग से अधिक अपने बीते संबंधों के बारे में जो बयान दे रही थीं उनमें लोगों की दिलचस्पी काफी थी। अपने साक्षात्कारों में आदित्य पंचोली और रितिक रोशन के बारे में कंगना ने बहुत कुछ कहा और आरोप भी लगाए।

शायद फिल्म के प्रमोशन के लिए यह जरूरी भी था कि उसकी हीरोइन ऐसी बातें करे जिन्हें अधिक से अधिक लोग सुनना चाहें और फिर चैनलों को आखिर चाहिए क्या? ऐसी सौगात उन्हें फिर कब मिलती? कंगना के साक्षात्कार खत्म हुए और उधर उनकी फिल्म सिमरन फ्लॉप साबित हुई, मगर कंगना को मिली पब्लिसिटी ने एक बार फिर से उन्हें विज्ञापनों की दुनिया में स्थापित कर दिया। मजे की बात यह है कि कल तक जो चैनल रात-दिन कंगना को उठाए फिर रहे थे वे इन दिनों अचानक रितिक रोशन पर मेहरबान हो उठे हैं। रितिक भी टीवी पर ज्यादा नजर आ रहे हैं तो उनके वकील महेश जेठमलानी से लेकर फिल्मी जगत के बहुत से लोग उनके पक्ष में आ जुटे हैं। दूसरी ओर कंगना की तरफ से बहुत सी तथाकथित स्त्री वादियों, कंगना के वकील और उनकी बहन ने मोर्चा संभाल लिया है। हाल में रितिक ने अपने फेसबुक एकाउंट पर लिखा कि जो महिला मुझ पर आरोप लगा रही है उससे मैं अकेले में कभी नहीं मिला, लेकिन लोग सच नहीं जानना चाहते।

वे मानते हैं कि महिला को हमेशा सताया जाता है और पुरुष हमेशा सताने वाला होता है। 1रितिक ने यह भी कहा कि अक्सर माना जाता है कि आदमी को सताया नहीं जा सकता और औरत कभी झूठ नहीं बोल सकती। अफेयर को सात साल पुराना बताया जा रहा है, मगर कोई प्रमाण नहीं है। न फोटो, न मीडिया रपटें, न कोई गवाह। पेरिस में जनवरी 2014 में जिस सगाई की बात की जा रही है उसे मेरे पासपोर्ट से चेक किया जा सकता है कि मैं तब देश से बाहर गया ही नहीं। रितिक ने यह भी कहा कि उन्हें औरतों का सम्मान करना सिखाया गया है, मगर अब और चुप नहीं रह सकता। एक बहस में कंगना के वकील ने कहा था कि रितिक अब तक चुप क्यों थे? उनका कहना था कि रितिक कभी कंगना के साथ फोटो खिंचवाए ही नहीं, क्योंकि वह शादीशुदा थे। वकील की बातें सुनकर लगा कि ये तो वही सवाल हैं जो पहले कभी महिलाओं से पूछे जाते थे। 1आखिर दूसरे लोग इस बात को कैसे और कब तय कर सकते हैं कि कोई अपने बारे में कब बोले, कैसे बोले? अपना पक्ष रखने का अवसर तो कानून हर एक को देता है और यदि नहीं देता, जैसा कि इन दिनों अक्सर महिला कानूनों के दुरुपयोग के कारण होता है तो दिया जाना चाहिए। कानून कभी एकपक्षीय नहीं हो सकते। न्याय का तकाजा भी यही है कि लोकतंत्र में कानून सभी के लिए होना चाहिए।

सभी की बात सुनी जानी चाहिए। कोई मात्र औरत होने से देवी नहीं हो जाती और कोई पुरुष होने भर से सौ फीसद खलनायक नहीं। स्त्री और पुरुष, दोनों बहुत अच्छे हो सकते हैं और बुरे भी। सौ फीसद अच्छे और सौ फीसद बुरे होने का नियम कहीं नहीं चलता। चूंकि कंगना-रितिक का मामला अदालत में है इसलिए सच-झूठ का फैसला तो अदालत ही करेगी, मगर रितिक का यह कहना सही है कि अक्सर पुरुष को सताया जाने वाला और औरत को शिकार मान लेना ठीक नहीं है। औरतें भी सता सकती हैं, पुरुष भी परेशान हो सकते हैं। वे भी इसी धरती के वासी हैं न कि किसी और ग्रह से आए हैं। वे औरतों को सताने और उनका यौन शोषण करने वाले ही नहीं होते। पुरुषों की यह नकारात्मक छवि शायद उन व्यापारिक हितों की भी देन है जो हर हालत में स्त्री-पुरुष को लड़वाकर समाज को बांटना चाहते हैं, जिससे उनके मुनाफे को कभी कोई चोट न पहुंचे। हर स्त्री अकेली हो, हर पुरुष अकेला हो तो उन्हें सुविधा देने के नाम पर तरह-तरह के उत्पादों के जाल में फंसाना और उनकी जेबें खाली करना कहीं आसान होता है।

एक तरह से परिवार इन तरह-तरह के व्यापारिक हितों का विरोधी होता है। स्त्री मुक्ति के नाम पर पश्चिम में जो कुछ हुआ उसे बिना अच्छे-बुरे की पहचान किए अपने यहां लागू करने की कोशिश ठीक नहीं। औरतों को अन्याय से मुक्ति मिले, शिक्षा और रोजगार मिले, परिवार की तानाशाही न लादी जाए, यह कौन नहीं चाहता, मगर सिर्फ औरतें जो कह रही हैं उसे बिना किसी जांच-पड़ताल के सच मानकर दूसरे पक्ष को खलनायक बना देना भी हरगिज जायज नहीं है।1सच तो यह है कि पुरुषों की नकारात्मक छवि से स्त्रियों का भी कोई खास भला नहीं होता, क्योंकि जिस घर में औरतें रहती हैं वहीं पुरुष भी रहते हैं। वे भी तो आधी आबादी ही हैं। अगर आधी आबादी सिर्फ सताने वाली है तो बताइए कि क्या कोई भी समाज चल सकता है। उसका विकास हो सकता है? वहां इंसानियत निभाई जा सकती है? नहीं। अगर पुरुष सिर्फ अपराधी ही हैं और उनमें बदलाव की कोई संभावना नहीं तो फिर हम शिकायत किससे कर रहे हैं? हर बात पर नए कानूनों की मांग क्यों करते हैं? कंगना ने फिल्म की मार्केटिंग के लिए जिस तरह की बयानबाजी की और बदले में जिस तरह से रितिक ने जवाब दिया उससे यही लगता है कि अब आरोप लगाने भर से किसी को शर्मिदा नहीं किया जा सकता।