देव श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी।
एक हफ्ते पूर्व मुख्यमंत्री ने धौरहरा में एक सभा के दौरान जिला प्रशासन से स्पष्ट कहा था। कि बाढ़ पीड़तों को किसी भी प्रकार की समस्य नही होनी चाहिये। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा अभी वही बाढ़ पीड़तों को भुगतना पड़ रहा है। जिसके चलते फूलबेहड़ क्षेत्र में शारदा नदी का पानी घटते ही कटान फिर से शुरू हो गया है।जिससे फसलों पर एक बार फिर कटान का खतरा मंडराता नजर आ रहा है। वही कटान का रुख देखकर ग्रामीण दहशत में है। साथ ही कटान को रोकने के लिए डाले गए बम्बू कैरेट भी कटान के चलते बह गए है।
सालों से कटान रोकने नहीं कोई व्यवस्था,सैंकड़ो एकड़ फसल हुईं बर्बाद
फूलबेहड़ मे शारदा नदी की तबाही थमने का नाम नहीं ले रही है।सैकड़ों एकड फसलें कटने के बावजूद अभी नदी शांत नहीं हुई है।कटान रोकने के लिए किए गये उपाय भी सफल नहीं हो सके।ग्रामीणों की माने तो कटान रोकने के लिए कई सालों से मांग की जा रही है।लेकिन कोई इंतजाम नहीं हुये इस बार नदी ने जब कटान शुरू किया तो इलाके के लोगों ने एक बार फिर मांग दोहराई यूं तो काफी दिनों तक प्रसासन टाल मटोल करता रहा।लेकिन जब ग्रामीणों ने कटान रोकने के लिए खुद ही प्रयास किया।तब सिचाई महकमा नींद से जागा और बम्बू कैरेट बनवाने का काम शुरू हुआ और कुछ बम्बू कैरेट डाल कर खाना पूरती कर ली।इसे महज खाना पूरती ही कहेंगे क्योंकि नदी की पहली ही धार ने ही बम्बू कैरेट बहा दिये।कटान की गति देखकर ग्रामीणों मे काफी दहशत का माहौल है क्योंकि नदी गूम की तरफ बढती जा रही है।कटान पीडितों का हाल जानने के लिए न तो कोई जनप्रतिनिधि आया और न ही कोई अधिकारी नही पहुंचे हैं।