हेल्थ डेस्क:
अक्सर हम अपने पेट और पेट से सम्बंधित समस्याओं से ग्रसित रहते हैं | इस पेट से जुडी समस्या में एक बड़ी समस्या है एसिडिटी भी|आजकल की अनुचित दिनचर्या और जीवन से इस समस्या से युवा सबसे ज्यादा ग्रसित हैं.तो आईये जानते हैं इस रोग के बारे में साथ ही इससे बचने के उपाय भी…
रोग परिचय
- हम जो खाना खाते हैं, उसका ठीक तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है।
- जिसकी मदद से यह भोजन आसानी से पच जाता है। यह एसिड भी ज़रूरी है। लेकिन कई बार पचाने के लिए पेट में पर्याप्त भोजन ही नहीं होता या फिर एसिड ही आवश्यक मात्रा से ज्यादा बन जाता है। जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन, सिरदर्द, और फैरिंक्स तथा पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है।
एसिडिटी होने के कारण
- एसिडिटी के आम कारण होते हैं- खान-पान में अनियमितता,खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना,और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवन करना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनाव ग्रस्त होकर खाना,तथा धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं।
- भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। अधिक शराब का सेवन करना,अधिक मिर्च- मसालेदार भोजन-वस्तुएं उपयोग करना,मांसाहार,कुछ अंग्रेजी दर्द निवारक गोलियाँ भी एसिडिटी रोग उत्पन्न करती हैं।
एसिडिटी के लक्षण
पेट में जलन का एहसास,गले में जलन,सीने में जलन,मतली का एहसास,खट्टी डकार आना,खाने पीने में कम दिलचस्पी
,कब्ज होना, बेचैनी महसूस होना,पेट में गैस होना ऐसी तकलीफें अगर होने लगे तो समझ जाइए की आप एसिडिटी के शिकार हो गए हैं।
एसीडिटी में आहार-विहार का रखे ख़ास ख्याल
- प्रतिदिन नियमित सुबह-शाम 2-3 किलोमीटर की सैर करने से तन्दुरस्ती ठीक रहती है और इससे अम्लपित्त की समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है।
- सुबह उठने के तुरन्त बाद 2-3 गिलास पानी अवश्य पीएं। इस तरह रात भर में पेट में बने आवश्यकता से अधिक एसिड और दूसरी गैर जरूरी और हानिकारक चीजों को इस पानी के जरिए शरीर से बाहर निकाला जाता है। इसलिए सुबह सबसे पहले चाय नही बल्कि खाली पेट पानी पीएं। आप देखेंगे कि इस उपाय से एसिडिटी निवारण में बहुत मदद मिलती है।
- व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें। नियमित व्यायाम और ध्यान की क्रियाएं पेट, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं।
- विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
- खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
- पानी में नींबू मिलाकर पीयें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
- नारियल पानी का सेवन अधिक करें। अगर किसी को एसिडिटी की शिकायत है, तो नारियल पानी पीने से काफी आराम मिलता है।
- भोजन के पश्चात,थोडे से गुड की डली मुँह में रखकर चूसें, यह हितकारी उपाय है।अपने खाने में अदरक को अवश्य शामिल करें। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और जलन से भी राहत मिलेगी।
- कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन जैसे चावल एसिडिटी रोकने में मददगार है, क्योंकि ऐसे भोजन की वजह से पेट में एसिड की कम मात्रा बनती है। शेंग, डॉयफ्रूइट्स, फ्रूट्स, फ्रूट्स सलाद जैसी चीजें खाएं।
कारगार घरेलू उपचार
- एक गिलास जल में 2 चम्मच सौंफ़ डालकर उबालें। इसे रात भर रखे। सुबह छानकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीयें। एसिडीटी नियन्त्रण का यह सबसे उत्तम उपचार है।
- आधा से एक चम्मच मीठा सोडा+काला नमक को गुनगुने जल में मिलाकर सेवन करने से एसिडिटी में तत्काल आराम मिलता है।
- दूध और दूध से बने पदार्थ अम्लता नाशक माने गये हैं। बिना शक्कर के ठंडा दूध दिन में 2-3 बार अवश्य पीएं। इस दूध में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है जो एसिड बनने से रोकता है, और जो पहले से मौजूद एसिड है, दूध उसको भी अपने में सोख लेता है।
- जोकि पेट में तेज़ाब से छुटकारा दिलाता है। और जो जलन होती है उससे भी राहत मिलती है। बेहतर रिजल्ट के लिए इस दूध में एक चमच्च देसी घी मिला लें।
- सुबह-सुबह आधा दूध व आधा पानी तथा इसमें मिश्री मिलाकर फेंटकर पीने से एसीडिटी में लाभ होता है।
- प्रतिदिन प्रात: ताज़ा मूली का रस 20 मि०ली० में मिश्री या शक्कर मिलाकर सेवन करें या मूली के पत्तों का रस 200 मि० ली० कि मात्रा में लेकर इसमें शक्कर मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
- आंवला एक ऐसा फ़ल है, जिससे शरीर के अनेकों रोग नष्ट होते हैं। एसिडीटी निवारण हेतु आंवला का उपयोग करना उत्तम फ़लदायी है। अतः किसी भी प्रकार का आंवला खाएँ, जैसे की आंवला चूर्ण, आंवले की सुपारी, आंवला केंडी, आंवला मुरब्बा, या आंवला ज्यूस इत्यादि।
- प्रात: निराहार 2 आँवले का मुरब्बा, धोकर तथा चाँदी के वर्क मिलाकर खाना अम्लपित्त में उपयोगी होता है।
- तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं। अतः तुलसी के दो चार पत्ते दिन में कई बार चबाकर खाने से अम्लता में लाभ होता है।
एसिडिटी का तुरन्त उपचार
- हमने कई ऐसे मूर्ख लोग भी देखे हैं जो एसिडिटी होने पर कोल्ड ड्रिंक पेप्सी या कोका कोला पीते हैं। यह सोच कर कि इस से एसिडिटी कंट्रोल होगी। ऐसे लोगो को भगवान ही बचा सकता हैं।
- जब भी आपको एसिडिटी हो जाए, कितने ही भयंकर से भयंकर एसिडिटी हो, आपको बस जीरा कच्चा ही चबा- चबा कर खाना है। एसिडिटी के हिसाब से आधे से एक चम्मच अर्थात ढाई से पांच ग्राम तक जीरा खायें। फिर इसके 10 मिनट बाद गुनगुना पानी पी लें।
- इलायची के पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर उबालें और ठंडा करके पी जाएं।
- पुदीने का रस और पुदीनेे का तेल पेट की गैस और अम्लता निवारक कुदरती पदार्थ है। इसके कैप्सूल भी मिलते हैं। यह अम्लपित्त का निवारक है।
- एक लौंग को अगर कुछ देर के लिए मुँह में रख ली जाए तो इससे एसिडिटी में राहत मिलती है। लौंग का रस मुँह की लार के साथ मिलकर जब पेट में पहुंचता है, तो इससे काफी आराम मिलता है।
- आधा गिलास मट्ठा( छाछ) में 15 मि०लि० हरा धनिये का रस मिलाकर पीने से अम्लता, बदहजमी, तथा सीने मे जलन का निवारण होता है।