‘साइकिल की सवारी’ को लेकर समाजवादी पार्टी की लड़ाई लखनऊ से बढ़ते हुए सोमवार को चुनाव आयोग तक पहुंच गई। फिर भी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का कहना है, ‘मेरे और अखिलेश के बीच कोई मतभेद नहीं है। एक ही शख्स इस फसाद की जड़ है जो अखिलेश को बहका रहा है।’
रविवार को लखनऊ से दिल्ली रवाना होने से पूर्व हालांकि मुलायम सिंह ने बीच का रास्ता निकालने का संकेत दिया और एक बार फिर से विवाद को सुलझा लेने का दावा किया। मुलायम सोमवार को चुनाव आयोग में पार्टी के नाम और चुनाव निशान पर दावा जताने पहुंचे थे। इस दौरान मुलायम ने रामगोपाल यादव का नाम लिए बिना उन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इशारों में कहा कि एक आदमी ने अखिलेश को बहला लिया है।मुलायम ने कहा कि साफ तौर पर कहा कि हमने 30 दिसंबर को ही रामगोपाल को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया तो वह कैसे 1 जनवरी को राष्ट्रीय अधिवेशन बुला सकता है। जब अधिवेशन ही अवैध है तो इसमें लिए गए फैसले का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा, ‘मैं अब भी सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और उम्मीदवार के नाम मेरे हस्ताक्षर से ही तय होंगे।’
‘राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटाने का कोई प्रावधान नहीं’-मुलायम ने कहा कि पार्टी के संविधान में अधिवेशन के जरिये राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। अधिवेशन बुलाने के लिए 30 दिन का नोटिस अनिवार्य है। इसके अलावा नए अध्यक्ष का चुनाव अधिवेशन के जरिये नहीं, बल्कि इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया अपनाया जाना अनिवार्य है। पार्टी में मतभेद की बात स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि अब चुनाव निशान और नाम पर फैसला आयोग को लेना है।