चीन दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का म्यांमार दौरा शुरू हो गया है. पीएम मोदी मंगलवार को म्यांमार पहुंचे, जहां उनका शानदार तरीके से स्वागत हुआ. इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति क्याव के साथ म्यांमार और भारत के एतिहासिक रिश्तों को मजबूत करने पर चर्चा की.
– लाइव अपडेट्स
– पीएम मोदी और आंग सान सू की की मौजूदगी में भारत और म्यांमार के बीच समझौतों का आदान प्रदान हुआ.
– डेलिगेशन लेवल वार्ता के बाद भारत और म्यांमार ने जारी किया संयुक्त बयान
#WATCH live via ANI FB: India and Myanmar issue joint press statement. https://t.co/3mo97GWqBv
— ANI (@ANI) September 6, 2017
– पीएम मोदी ने कहा कि बतौर पड़ोसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के संदर्भ में म्यांमार के साथ रिश्ते मजबूत करना भारत की प्राथमिकता है.
PM @narendramodi : Deepening relationship with Myanmar is a priority for India, as a neighbour and also in the context of ‘Act East Policy’. pic.twitter.com/1O5tNzedpd
– पीएम मोदी और आंग सान सू की के बीच डेलिगेशन लेवल की बातचीत शुरू.
बुधवार को पीएम मोदी ने म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से मुलाकात की.
Meeting a valued friend. PM @narendramodi with the State Councillor Aung San Suu Kyi pic.twitter.com/TJfIahUvMk
इससे पहले मंगलवार को पीएम मोदी ने म्यांमार पहुंचने के बाद ट्वीट किया, ‘अभी ने प्यी ता पहुंचा, मेरी म्यांमार यात्रा यहीं से शुरू होगी. म्यांमार की यात्रा के दौरान मैं कई कार्यक्रमों में शामिल होऊंगा’. बता दें कि मोदी अपनी दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण के तहत यहां पहुंचे हैं. पीएम मोदी ने म्यांमार के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें कई तोहफे भी दिए. पीएम ने उन्हें बोद्धि वृक्ष भी तोहफे में दिया.
भारत-चीन के लिए अहम है म्यांमार
म्यांमार को भारत के लिए दक्षिण-पूर्वी एशिया का प्रवेश द्वार माना जाता है. चीन के लिए भी यह रणनीतिक अहमियत रखता है. ऐसे में भारत ही नहीं, बल्कि चीन भी यहां अपना दायरा बढ़ाने में जुटा हुआ है. म्यांमार चीन की वन बेल्ट वन रोड़ परियोजना का एक अहम पड़ाव है. दोनों देश चाहेंगे कि म्यांमार उनके साथ खड़ा हो.
रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा भी गरम
आपको बता दें कि म्यांमार में लगातार रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों ने एक बार फिर से दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. भारत समेत सयुंक्त राष्ट्र भी इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए हैं. आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 400 रोहिंग्या मुस्लिम की हत्या हो चुकी है. वे बड़े पैमाने पर अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ों और नदियों के रास्ते म्यांमार को पार कर बांग्लादेश के कुटुपालंग रिफ्यूजी कैंप की ओर पलायन कर रहे हैं.