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बड़ीखबर: योगी सरकार के छह महीने पूरे होने पर उप मुख्यमंत्री केशव ने दिया बड़ा बयान…

‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के डिप्टी यानी यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि यूपी जैसे विशाल राज्य में काम करने की अनंत संभावनाएं हैं। इसलिए सरकार के छह महीने के कार्यकाल पर संतुष्ट होने का सवाल ही नहीं। संतुष्ट हो गया तो काम करने का भाव ही खत्म हो जाएगा। अब तक के काम से संतोष जरूर है। संतोष इस बात का नहीं कि समस्याएं खत्म हो गई हैं, बल्कि इसका कि ईश्वर की कृपा और जनता के आशीर्वाद से हम लोगों को प्रदेश के लोगों को भय, अपराध, भ्रष्टाचार, जातिवाद और परिवारवाद से मुक्त करने का अवसर मिला।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उस दिशा में गंभीरता से काम आगे बढ़ा है। माहौल बदला है। भ्रष्टाचारी और अपराधी घबराने लगे हैं। कारनामों पर ब्रेक लगा है। विकास के एजेंडे पर काम शुरू हुआ है। जातिवाद और परिवारवाद तथा अपराधियों को संरक्षण देने पर पूरी तरह रोक लगी है। मौर्य सोमवार को लखनऊ अमर उजाला कार्यालय में सरकार के छह माह पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

सवाल : भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगेगा?
जवाब : भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ईं-टेंडरिंग की व्यवस्था लागू की है। हालांकि, यह सच है कि कुछ जगहों पर ई-टेंडरिंग के बीच से भी घपले करने के रास्ते निकाल लिए गए हैं। इसे रोकने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। सड़कों के निर्माण गुणवत्ता के निरीक्षण को थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन भी शुरू किया गया है। इस इंस्पेक्शन के बाद ही ठेकेदारों को भुगतान होगा।

सवाल : आगरा एक्सप्रेस-वे काफी बेहतर बना। फिर भी सरकार ने जांच करा दी। इंजीनियर डरे हुए हैं?
जवाब : योगी सरकार में ईमानदारी से काम करने वाले इंजीनियरों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ एक सिद्धांत पर काम करना है कि न तो गड़बड़ी करेंगे और न ही गड़बड़ी होने देंगे। ईमानदार इंजीनियर की नौकरी लेना आसान नहीं होता।

…तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए कौन इंजीनियर मिलेगा?
सवाल : …तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए कौन इंजीनियर मिलेगा?
जवाब : अगर किसी ईमानदार इंजीनियर या अफसर के साथ नाइंसाफी हुई है, तो वह मुझे गोपनीय पत्र भेज सकता है। उस पर तत्काल विचार किया जाएगा। बस इंजीनियर इस सिद्धांत का पालन करें- न गड़बड़ी करेंगे और न करने देंगे। रही बात, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की तो हमने इसका निर्माण कराने वाले मुख्य अभियंता विश्व दीपक को राजकीय निर्माण निगम का एमडी बनाया है।
सवाल : नई स्थानांतरण नीति के बाद तबादलों पर सवाल उठ रहे हैं?
जवाब : नीति के तहत 20 फीसदी तबादले होने थे। लोक निर्माण विभाग एक काली कोठरी की तरह हो गया था। हमने ईमानदारी के साथ तबादले करके इसे उजली कोठरी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

सवाल : घर को कोई दुकान और व्यावसायिक कांप्लेक्स बना ले और सरकार उसे नियमित कर दे, क्या यह उचित है?
जवाब : सरकार इसे ठीक नहीं मानती। इस तरह लैंड यूज चेंज करने से अव्यवस्थाएं पैदा होती हैं। अनाप-शनाप ढंग से लैंड यूज चेंज करने की कोशिशों पर सख्ती से लगाम लगाई जाएगी।

सवाल : बरसात शुरू होने से पहले ही सड़कों को ठीक करने का ध्यान क्यों आता है?
जवाब : सरकार ने मार्च में सत्ता में आते ही 1.21 लाख किमी लंबी सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान शुरू किया। मानसून आने से पहले यानी 15 जून तक 76356 किमी सड़कें हमने गड्ढामुक्त की थीं। हाल ही में एक बार फिर उन सड़कों का सर्वे कराया गया। गड्ढामुक्त की गईं महज 7 फीसदी सड़कें ही दोबारा खराब हुई हैं। आगे प्रयास होगा कि बरसात से बहुत पहले यह काम हो जाए।

हर सरकार पुरानी योजनाओं को छोड़कर नए कामों में क्यों रुचि लेती है 
सवाल : हर सरकार पुरानी योजनाओं को छोड़कर नए कामों में क्यों रुचि लेती है?
जवाब : हमारी सरकार ने कामों को पहले जल्दी पूरा करने पर विशेष जोर दिया। जो नए काम कम समय में हो सकते हैं, उन्हें शुरू कराया। अब 10 वर्ष उन्हीं परियोजनाओं में लगेंगे, जिन्हें पूरा करने में वास्तव में उतने समय की जरूरत है।
सवाल : राजकीय निर्माण निगम व पीडब्ल्यूडी में 60 फीसदी पद खाली हैं। कैसे काम हो?
जवाब : अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी सभी विभागों में है। सरकार ने आयोग के माध्यम से इन्हें भरने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

सार्वजनिक उद्यम: विकास की कीमत पर आंदोलन बर्दाश्त नहीं
निगमों की स्थिति ठीक करने के लिए सरकार क्या कर रही है? राज्य में निगमों की हालत खराब है। कई बंद हो गए हैं। कर्मचारियों को वीआरएस लेना पड़ा। इसके पीछे क्या कारण है, हम सब जानते हैं। काम के अनुसार दाम की मांग करने को मैं अनुचित नहीं मानता, पर आंदोलनों को राज्य के विकास की कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। निगमों की स्थिति सुधारने के लिए कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता करूंगा। निगम भी राज्य के विकास में काफी योगदान दे सकते हैं। निगमों की समस्याओं का कोई न कोई हल निकाल लिया जाएगा।
खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर: नई नीति किसानों के हित में
सवाल : नई खाद्य प्रसंस्करण नीति कब तक आएगी?
जवाब : जल्द आएगी। सरकार खाद्य एवं प्रसंस्करण को एक उद्योग के तौर पर स्थापित करने का विचार कर रही है। इसमें रोजगार की सबसे अधिक संभावनाएं हैं। मेरी कोशिश होगी कि नई पॉलिसी में किसानों के हित सबसे ऊपर हों। दूसरे राज्यों की पॉलिसियों का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा।
सवाल : इस क्षेत्र को कैसे बढ़ावा देंगे?
जवाब : जल्द ही एक बड़ी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा। इसमें सभी प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित मंत्री, अधिकारी और उद्यमियों को बुलाएंगे। सभी मुद्दों पर बातचीत होगी। फिर कार्ययोजना तैयार होगी।

सवाल : कोल्ड चेन का प्रदेश में बड़ा संकट है?
जवाब : हमारी कोशिश है कि अब जो भी योजनाएं हैं, उसे ब्लाक स्तर पर केंद्रित किया जाए। उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए हर जिले में कम से कम एक कोल्ड चेन जरूर बनाया जाएगा।

सवाल : फूड सेक्टर में नोडल अफसर तैनात होंगे?
जवाब : खाद्य प्रसंस्करण के जरिये गरीब, किसान व नौजवान को लाभ पहुंचाया जा सकता है। इसलिए अगर जरूरी हुआ तो नोडल अफसरों की भी नियुक्ति की जाएगी।

सवाल : इस इंडस्ट्री के लिए उपकरण बहुत महंगे हैं, सरकार मदद करेगी?
जवाब : दिक्कतों को दूर करने के लिए उदारता पूर्वक विचार होगा। सरकार इस बात से वाकिफ है कि सिर्फ सड़कें बना देने से ही नहीं, बल्कि रोजगार के अवसर पैदा करने से ही उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाया जा सकेगा।

काश! सभी 403 सीटें जिता पाते 
मेरी एक ही ख्वाहिश अधूरी रही कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में विधानसभा चुनाव में 325 की जगह सभी 403 सीटों पर भाजपा को जीत क्यों नहीं दिला पाया।सपा-बसपा ने बिगाड़ा अफसरशाही का स्वभाव

बीते 14 वर्षों में अफसरशाही का स्वभाव बिगड़ गया था। भाजपा सरकार इसे ठीक कर रही है। सरकार की सख्ती से अफसरशाही को स्वभाव बदलना पड़ रहा है। पर, बिगड़ी चीजों को ठीक करने में कुछ वक्त लगता है।आग्रह है, विरोधी एक हो जाएं
तीनों विपक्षी दल मिलकर भी भाजपा को नहीं रोक पाएंगे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 60 प्रतिशत वोट मिलेंगे। मेरा तो आग्रह है कि अगर सपा, बसपा और कांग्रेस एक न हो रहे हों तो जरूर हो जाएं।

अखिलेश यादव हताश
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हताशा में भाजपा सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। वे अगर 1.21 लाख किमी सड़कों पर गड्ढे छोड़कर नहीं जाते तो भाजपा को इसमें उलझना नहीं पड़ता। इस धन से जन कल्याण के दूसरे काम करने का मौका मिलता।

मायावती ने सिर्फ तिजोरी भरी
मायावती ने तो जनकल्याण के लिए कुछ किया ही नहीं। वे पांच साल अपनी तिजोरी भरने में लगी रहीं।

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