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प्रधान एक रे, रूप अनेक रे

देव श्रीवास्तव
मोहम्मदी-खीरी।
क्षेत्र के ग्राम हथेला वाजिदपुर में पूरी तरह प्रधान का राज चलता है। प्रधान जी जो चाहते हैं वही होता है। प्रधान जी इतने कारसाज हैं कि हथेला के प्रधान होते हुए भी सहकारी क्रय विक्रय समिति के सचिव का पद भी ले रखा है। वह समिति की नगर मोहम्मदी में स्थित डिपो संख्या एक के सेल्समैन भी हैं। प्रधान जी का बेटा हथेला के सरकारी स्कूल में शिक्षा प्रेरक हैं। वहीं नगर मोहम्मदी में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का कोटेदार भी है। बताया जाता है कि हथेला स्थित प्राथमिक विद्यालय के खेल के मैदान पर प्रधान जी का कब्जा है और उन्होंने उस पर पक्का निर्माण करा रखा है। स्कूल की जगह पर खेती कराई जा रही है। परिसर में ट्राली व कमरे में पुरानी ईंटें भरी हैं। इतनी अनियमितता के बाद भी प्रशासन आंखें बंद किये है।
राजेंद्र कुमार हथेला के प्रधान भी हैं। वहीं वह सहकारी क्रय विक्रय समिति के सचिव एवं समिति की नगर के एक कोटे की दुकान के सेल्समैन भी हैं। प्रधान राजेन्द्र कुमार का पुत्र राजीव कुमार गांव के ही पते से वहीं के स्कूल में शिक्षा प्रेरक पद पर तैनात है और सरकार से मानदेय ले रहे है। ग्रामसभा की मतदाता सूची, आधार कार्ड सब गांव का है फिर भी नगर के मोहल्ला पश्चिमी लखपेड़ा व भीतर मोहम्मदी के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कोटेदार भी हैं। जबकि सरकारी नियमानुसार शिक्षा प्रेरक तथा गांव का निवासी नगर में कोटेदार नहीं हो सकता। इसके अलावा प्रधान जी गांव के सरकारी स्कूल पर भी पूरी तरह काबिज हैं। स्कूल का खेल का मैदान जहां बच्चे खेलते थे पूरी तरह अस्तित्व विहीन हो चुका है। खेल के मैदान पर पक्का निर्माण है। स्कूल के सामने पड़ी भूमि पर सब्जियां उगाई जा रही हैं। 

स्कूल के पड़ोस स्थित तालाब पर भी इन्हीं की गन्ने की फसल लहलहा रही है। प्रधान जी पिछले 10 वर्षों से प्रधानी कर रहे हैं। गांव की हालत यह है कि तमाम सड़कें 15-20 वर्ष पूर्व की है जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। नालियों का पानी सड़कों पर बहता है। अब एक व्यक्ति द्वारा इतनी अनियमितता के बाद भी जिम्मेदार आंखें मूंद कर बैठे हैं। इस संबंध में बीडीओ ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी। पुष्टि होने पर विभागीय कार्रवाई होगी। 

भला एेसा भी कहीं होता है

प्रधान जी के तरह-तरह के रूप देखकर पूर्ति विभाग, शिक्षा विभाग व अन्य विभागों की कार्यशैली पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। जैसे क्या एक गांव का प्रधान नगर में क्रय-विक्रय समिति की सस्ते गल्ले की दुकान का सेल्स मैन हो सकता है? क्या प्रधानपुत्र गांव के स्कूल में शिक्षा प्रेरक होते हुए नगर में सस्ते गल्ले की दुकान का कोटेदार हो सकता है? क्या प्रधान व उसके पुत्र ने गांव व नगर निवासी होने के अलग-अलग निवास प्रमाणपत्र अलग-अलग विभागों में लगाये हैं। यदि एेसा है तो इन विभागों ने क्या बिना जांच के ही इनकी नियुक्तियां कर दीं? कुल मिलाकर उक्त प्रकरण में तमाम विभागों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।

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