भारतीय अधिकारियों के अनुसार भारत इस ड्रोन की खरीदारी के लिए अमेरिका से मंजूरी हासिल करने पर पूरा जोर लगा रहा था। अमेरिका के साथ 22 ड्रोन का सौदा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ था। लेकिन तब से इसकी बिक्री को अमेरिकी सरकार से मंजूरी नहीं मिली थी। मंजूरी मिलने के बाद अब भारतीय सेना को इस ड्रोन के मिलने से 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर नजर रखने में काफी मदद मिलेगी।
अमेरिका ने अफगानिस्तान, तालिबान के अलावा कई देशों में आतंकवादियों को खत्म करने में इस तरह के ड्रोन का इस्तेमाल किया था। वाशिंगटन के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को पहुंच रहे मोदी अमेरिका के साथ अपने संबंधों को नई ऊंचाई देने का प्रयास करेंगे। साथ ही द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर भी जोर देंगे।