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परिवहन क्षेत्र की प्रगति में कनाडा सहयोग की इच्छुक- मार्क गार्नो

भारत के परिवहन क्षेत्र में पिछले एक-दो वर्षों के दौरान शुरू हुए लाखों करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं में देश की कंपनियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी दिलचस्पी ले रही हैं। खासकर कनाडा इसमें विशेष तौर पर भागीदार बनना चाहता है।

भारत के राजमार्ग, रेलवे और नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में पहले से ही कनाडा की कंपनियां काम कर रही हैं। अब जबकियहां इस क्षेत्र में तेजी से नई परियोजनाओं की घोषणा हो रही है, तो कनाडा यहां और सक्रिय रूप से काम करना चाहता है। इसी सिलसिले में भारत आए कनाडा के परिवहन मंत्री मार्क गार्नो से शिशिर चौरसिया ने विस्तृत बातचीत की। पेश है, इस बातचीत के मुख्य अंश :

प्रश्न- आपकी भारत यात्रा का मकसद क्या है?
उत्तर- मेरी भारत यात्रा का मकसद भारत के परिवहन केक्षेत्र में सहयोग को प्रगाढ़ करना है। इस समय यहां चाहे राजमार्ग, रेल मार्ग या नागरिक उड्डयन क्षेत्र को देखें, हर तरफ नई परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।

हमारी कई कंपनियां इस क्षेत्र में वर्षों से काम कर रही हैं। हम चाहते हैं कि हमारी कंपनियों को यहां की परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी निभाने का मौका मिले। आप देखें, तो हमारी कुछ कंपनियां यहां पहले से ही काम कर रही हैं। हम क्षेत्र में लगातार अनुसंधान और विकास कर रहे हैं। हम चाहते हैं परिवहन के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता का लाभ भारत को भी मिले।

प्रश्न- आप किन-किन क्षेत्रों में काम करने के इच्छुक हैं?
उत्तर- हमें यहां तीन मुख्य क्षेत्रों में काम करना है। पहला राजमार्ग, दूसरा रेलवे और तीसरा नागरिक उड्डयन। हमारी कुछ कंपनियां पहले से ही भारत के साथ सहयोग कर रही हैं। जैसे भारतीय राजमार्गों पर टोल वसूली से संबंधित तकनीक उपलब्ध कराने में कनाडा की कंपनियां पहले से ही सहयोग कर रही हैं।

इस समय कुछ कनाडाई कंपनियों ने भारत के कुछ राजमार्गों पर टोलिंग सिस्टम को विकसित किया, उसका इंस्टालेशन किया और उसके संचालन में भी मदद दे रही हैं। रेलवे में देखें, तो हमारी कंपनी बमबार्डियर यहां पहले से ही है। वह यहां पैसेंजर कार और लोकोमोटिव के क्षेत्र में काम कर रही है।

हम भारत के नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। पहले से ही कुछ भारतीय विमानन कंपनियों ने कनाडा में बने एयरक्राफ्ट की खरीद की है। अब जबकि भारत ने दूर-दराज केक्षेत्र को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए उड़ान योजना शुरू की है, तो हम इसमें भी सहयोग कर सकते हैं।

हम छोटे विमान बनाने में विशेषज्ञता रखते हैं। यहां की कंपनी स्पाइसजेट ने इसलिए उनके यहां की कंपनी को बड़ा ऑर्डर दिया है।

 
प्रश्न- कुछ विशेष क्षेत्र जिनमें आप सहयोग करना चाहेंगे?
उत्तर- सड़क परिवहन के क्षेत्र में देखें, तो भारतीय सड़कों पर काफी दुर्घटनाएं होती हैं। हम सड़क सुरक्षा केक्षेत्र में मदद कर सकते हैं। बेहतर सड़क सुरक्षा के उपायों से न सिर्फ दुर्घटनाओं की संख्या में कमी होगी, बल्कि हताहतों की संख्या भी घटेगी। रेलवे के क्षेत्र में हम बेहतर पैसेंजर कोच और शक्तिशाली लोकोमोटिव यहीं बनाने में मदद दे सकते हैं। इसी तरह नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में 50 सीट से लेकर 100 और 150 सीटों वाले हवाई जहाज के क्षेत्र में हम सहयोग करना चाहते हैं। देखा जाए, तो ‘उड़ान’ वाले मार्गों पर अधिकतर इसी तरह के विमानों की जरूरत पड़ेगी। हमारे पास इस क्षेत्र की आधुनिक तकनीक है, जिसमें न सिर्फ ईंधन की कम खपत होती है, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी अधिक अनुकूल है।प्रश्न- भारत में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति बेहतर नहीं है। इस क्षेत्र में भारत कनाडा से क्या सीख सकता है?
उत्तर- आप सार्वजनिक परिवहन की बात करते हैं, तो हमारे यहां इस क्षेत्र में तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है। भारत चाहे तो इसमें कनाडा का सहयोग मिल सकता है। हम यहां सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा के मानकों को भी मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में भारत में भी काफी प्रगति हो रही है। मैं इससे पहले वर्ष 2003 में भी भारत आया था। उस समय के मुकाबले वर्तमान में यहां की स्थिति में काफी बदलाव हुआ है।

प्रश्न- इस बारे में भारत के किसी मंत्री से बात हुई ?
उत्तर- यहां मैं परिवहन मंत्रियों के एक कार्यक्रम में शामिल हुआ, जिसके आयोजक भारत के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी थे। हमने उस दौरान सड़क सुरक्षा के बारे में बात की। हमने कहा कि इस क्षेत्र में और काम हो सकते हैं। यही नहीं, हमने एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी किया, जिसे दिल्ली डिक्लरेशन का नाम दिया गया है। इसमें कई मसलों का जिक्र है, जिस पर हमें इकट्ठे होकर काम करना है।