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जिला न्यायालय से गायत्री प्रजापति की याचिका खारिज, न्यायाधीश ने दिए सख्त निर्देश

महिला से छेड़छाड़, धमकी व अपहरण की साजिश रचने के मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ दायर चार्जशीट पर सीजेएम का संज्ञान लेना कानून के अनुरूप है। इस टिप्पणी के साथ ही प्रभारी जिला न्यायाधीश उमाशंकर शर्मा ने गायत्री की ओर से सीजेएम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट में सरकारी वकील प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सीजेएम का आदेश विधिसंगत है। जिन मामलों का सत्र न्यायालय द्वारा विचारण किया जाना है, उनमें मजिस्ट्रेट को संज्ञान लेते समय केवल यह देखना होता है कि विवेचना में जुटाए गए सुबूतों से आरोपी के खिलाफ अपराध बनता है या नहीं। इस पर कोर्ट ने सीजेएम के आदेश को सही ठहराते हुए इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। गत 14 दिसंबर को गायत्री प्रजापति की ओर से याचिका दायर करके बताया गया कि चित्रकूट की महिला ने 26 अक्तूबर 2016 को गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि लगभग तीन वर्ष पहले आशीष शुक्ला, बब्लू सिंह व अन्य ने खनन पट्टा दिलाने का आश्वासन देकर उसे लखनऊ बुलाया।

पट्टा देने के एवज में शारीरिक संबंध बनाने को कहा और मना करने पर धमकी दी। पुलिस ने विवेचना के बाद अपहरण के प्रयास की धाराएं जोड़ते हुए गायत्री व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। इस पर सीजेएम ने 8 नवंबर, 2017 को संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।

गायत्री ने इस आदेश को चुनौती दी थी। उसका कहना था कि पीड़िता ने कलमबंद बयान में ऐसी कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने की बात कही थी। इसके बावजूद विवेचक ने चार्जशीट दाखिल कर दी और सीजेएम ने कोई सुबूत न होते हुए भी चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया।