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जानें आखिर क्यों सभी एकादशी पर रखा जाता है व्रत

एकादशी व्रत का काफी महत्व होता है। हर महीने दो एकादशी आती है एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी। इस बार 13 दिसंबर को वर्ष की आखिरी एकादशी है। अपने नाम के अनुसार यह व्यक्ति को उनके उद्देश्य एवं कर्मों में सफलता दिलाने वाला है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार मनुष्य का अंतिम उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है। इस एकादशी के व्रत से मोक्ष का मार्ग सरल होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत की शुरुआत कैसे हुई। 

एकादशी की शुरुआत के विषय में पुराणों में जो कथा मिलती है उसके अनुसार मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के शरीर से एकादशी देवी का जन्म हुआ। इसलिए मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है।
 

मुर नामक असुर से युद्घ करते हुए जब भगवान विष्णु थक गए, तब बद्रीकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए बद्रीकाश्रम पहुंच गया। निद्रा में लीन भगवान को मुर ने मारना चाहा, तभी विष्णु भगवान के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ और इस देवी ने मुर का वध कर दिया।
 

देवी के कार्य से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान ने कहा कि देवी तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि आज से वर्ष की हर एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी और जो भी एकादशी का व्रत रखेगा, वह पापों से मुक्त हो जाएगा।