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चीन के मंसूबों पर फिरा पानी, डोकलाम विवाद पर चीन को अमेरिका ने दिया झटका

annual-us-china-strategic-economic-dialogue_1500693555डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं। इस मामले में चीन लगातार दूसरे देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वो भारत को आक्रामक बताते हुए खुद को डिफेंडर की भूमिका में ला सके। चीनी अधिकारियों की कोशिश है कि वो भारत पर दुनिया के दूसरे देशों का दबाव बढ़वाए और भारत डोकलम से अपनी सेना को वापस बुला ले, पर उसकी हर चाल नाकामयाब होती दिख रही है। इसी कड़ी में चीनी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की बातचीत भी हुई पर अमेरिका की ओर से चीन को झटका दे दिया गया।
अमेरिका ने चीन को ये झटका भारतीय हितों को देखते हुए दिया, ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार में भारी असमानता है। अमेरिका चाहता है कि चीन अपनी ओर से अमेरिका को इस्पात और अन्य निर्यातों में कमी करे, और इसके साथ चीन अमेरिकी सामानों को खरीदे, तभी बात आगे बढ़ सकती है। यही वजह है कि अमेरिका और चीन के अधिकारियों के बीच अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर हुई बातचीत फेल हो गई।

अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के पीछे चीन की चाल थी कि वो पर्दे के पीछे भारत विरोधी जमीन तैयार कर ले, पर अमेरिका ने उसे झटका दे दिया। अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग सालाना तौर पर आयोजित होता रहा है। लेकिन इस बार चीन इस सालाना बातचीत के पीछे डोकलम मुद्दे पर अमेरिका को मनाने की कोशिश कर रहा था। खास बात ये है कि अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग बेहद बुरी तरह से फ्लॉप हो चुका है।

इस्पात को अमेरिका भेजना बंद करे चीन

इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वॉशिंगटन में हुए अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के बाद साझे तौर पर प्रेस-कांफ्रेंस तक आयोजित नहीं की गई। जिसमें दोनों पक्ष बातचीत के मुख्य बिंदुओं को साझा करते हैं। पर इस बार की बातचीत में ऐसा कोई मुद्दा रहा ही नहीं, जिसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बन सकी हो। इस बार अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के फ्लॉप होने को चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग में अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से मांग की है कि वो अपने इस्पात को अमेरिका भेजना बंद करे। इससे अमेरिकियों की नौकरियां खत्म हो रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बेहद ज्यादा हो गया है, जिसे घटाने में चीन की रुचि बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि वो लगातार इसे बढ़ाते हुए खुद का ही फायदा देख रहा है। अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में $347 मिलियन डॉलर का भारी भरकम अंतर है।

अमेरिका के व्यापार सचिव विल्बर रॉस ने साफ कहा कि चीन और अमेरिका व्यापार के बीच बड़ा अंतर सामान्य बाजारी ताकत की वजह से आया ही नहीं, बल्कि साफ सुथरे, न्यायसंगत संभावनाओं की कमीं की वजह से आया है। चीन एकतरफा अपने हित देख रहा है। विल्बर रॉस ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक अंतर को कम करने के लिए अमेरिकी सामानों को चीन निर्यात करना चाहिए। हमें अगर साथ आगे बढ़ना है, तो इस ‘बड़े अंतर’ को पाटना होगा।

चाइना-अमेरिका स्टडी इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अधिकारी सौरभ गुप्ता ने कहा कि अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के फेल होने से चीन पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिका अब उल्टे चीन पर ही दबाव डाल रहा है। ऐसे में चीन द्वारा डोकलाम विवाद पर भारत के विरुद्ध अमेरिका का समर्थन जुटाना और भी मुश्किल हो चला है।

 

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