अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के पीछे चीन की चाल थी कि वो पर्दे के पीछे भारत विरोधी जमीन तैयार कर ले, पर अमेरिका ने उसे झटका दे दिया। अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग सालाना तौर पर आयोजित होता रहा है। लेकिन इस बार चीन इस सालाना बातचीत के पीछे डोकलम मुद्दे पर अमेरिका को मनाने की कोशिश कर रहा था। खास बात ये है कि अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग बेहद बुरी तरह से फ्लॉप हो चुका है।
इस्पात को अमेरिका भेजना बंद करे चीन
अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग में अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से मांग की है कि वो अपने इस्पात को अमेरिका भेजना बंद करे। इससे अमेरिकियों की नौकरियां खत्म हो रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बेहद ज्यादा हो गया है, जिसे घटाने में चीन की रुचि बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि वो लगातार इसे बढ़ाते हुए खुद का ही फायदा देख रहा है। अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में $347 मिलियन डॉलर का भारी भरकम अंतर है।
अमेरिका के व्यापार सचिव विल्बर रॉस ने साफ कहा कि चीन और अमेरिका व्यापार के बीच बड़ा अंतर सामान्य बाजारी ताकत की वजह से आया ही नहीं, बल्कि साफ सुथरे, न्यायसंगत संभावनाओं की कमीं की वजह से आया है। चीन एकतरफा अपने हित देख रहा है। विल्बर रॉस ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक अंतर को कम करने के लिए अमेरिकी सामानों को चीन निर्यात करना चाहिए। हमें अगर साथ आगे बढ़ना है, तो इस ‘बड़े अंतर’ को पाटना होगा।
चाइना-अमेरिका स्टडी इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अधिकारी सौरभ गुप्ता ने कहा कि अमेरिका-चीन स्ट्रेटजिक इकनॉमिक डायलॉग के फेल होने से चीन पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिका अब उल्टे चीन पर ही दबाव डाल रहा है। ऐसे में चीन द्वारा डोकलाम विवाद पर भारत के विरुद्ध अमेरिका का समर्थन जुटाना और भी मुश्किल हो चला है।